ज्योति हमेशा प्रकाश के लिए जलाई जाती है। ज्योति का प्रकाश ज्ञान का प्रतीक माना जाता है। भगवान से हमें सम्पूर्ण ज्ञान मिले इसलिए हर कार्यक्रम के पहले दीप प्रज्वलित किया जाता है। लोगों का मानना है कि दीप जलाने से दीप की ज्योति की तरह मानव की वृत्ति भी सदैव ऊपर की ओर उठी रहती है। किसी भी व्यक्ति को दीप प्रज्वलित करते हुए इस मंत्र को जरूर पढ़ना चाहिए-
शुभं करोति कल्याणम् आरोग्यम् धनसंपदा।
शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपज्योति नमोऽस्तुते॥
दीपो ज्योति परं ब्रह्म दीपो ज्योतिर्जनार्दन:।
दीपो हरतु मे पापं संध्यादीप नमोऽस्तुते॥
अर्थात् जो शुभ करता है, कल्याण करता है, आरोग्य रखता है, धन संपदा देता है और शत्रु बुद्धि का विनाश करता है, ऐसे दीप की रोशनी को मैं नमन करता हूं।
सभी त्यौहारों और कार्यक्रमों की तरह नवरात्रि पर भी दीप प्रज्वलित करने का विधान है। इस दौरान लोग माँ के समक्ष अखंड ज्योति जलाते हैं। अखंड ज्योति को वास्तु के नियमों के अनुसार सही दिशा में रखना और जलाना बेहद महत्वपूर्ण होता है। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। जिससे परिवार में सुख समृद्धि आती है।
क्या है अखंड ज्योति?
एक ऐसा दीपक जो बिना बुझे हुए लगातार जलता रहता है, उसे अखंड ज्योति कहा जाता है। नवरात्रि के पावन पर्व पर इस ज्योति का अत्यधिक महत्व है। यह ज्योति माँ दुर्गा की शक्ति का प्रतीक मानी जाती है।
अखंड ज्योति जलाने की विधि
मनवांछित फल पाने के लिए नियमों के अनुसार इस तरह से अखंड ज्योति प्रज्वलित करनी चाहिए-
अखंड ज्योति हमेशा पीतल के दीपपात्र में ही प्रज्वलित करनी चाहिए। यदि आपके पास पीतल का दीपपात्र नहीं है तो आप मिट्टी का दीपपात्र भी अखंड ज्योति प्रज्वलित करने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। मिट्टी के दीपपात्र को पानी से भिगोकर अच्छे से साफ कर लें। उसके बाद ही उसमें दीया जलाएं।
अखंड दीप को कभी भी जमीन में रखकर न जलाएं। दीपक को हमेशा चौकी या पटरे पर रखें। यदि आप माँ दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर के समक्ष जमीन पर दीपक रख रहे हैं तो चावल और गुलाल का अष्टदल बनाकर दीपक रखें और उसे प्रज्वलित करें। दीपक जलाने के लिए शुद्ध घी का इस्तेमाल करें। यदि आपके पास घी उपलब्ध नहीं है तो आप सरसों के तेल का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) को देवताओं का स्थान माना जाता है इसलिए दीपक को हमेशा आग्नेय कोण (पूर्व-दक्षिण दिशा) में रखना चाहिए। ज्योति की दिशा पूर्व या उत्तर में होनी चाहिए।
अखंड ज्योति जलाने के नियम
एक बार दीपक जलाने के बाद उसकी बाती बार-बार नहीं बदलनी चाहिए। दीपक को इस तरह से जलाना चाहिए ताकि उसकी आंच दीपक के चारो ओर चार अंगुल दूरी तक महसूस की जा सके। दीपक जलाते समय दीपक जलाने वाला मंत्र जरूर पढ़ें।
अखंड ज्योति प्रज्वलित करने से लाभ
वास्तु शास्त्र में कहा जाता है कि पूजा के दौरान दीपक जलाने से जीवन में शुभता आती है, साथ ही जीवन संतुलित रहता है। दीपक जलाने से भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है और धनलाभ की संभावना बढ़ जाती है।