

सनातन परंपरा में मोहिनी एकादशी बेहद खास मानी जाती है। कहा जाता है कि इस दिन व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने से जीवन के सभी दु:ख दर्द दूर हो जाते हैं और सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस दिन ब्राह्मणों तथा दीन-हीन, असहाय लोगों को दान देने के से साधकों के ऊपर भगवान विष्णु की कृपा होती है और उन्हें मरणोपरांत मोक्ष की प्राप्ति होती है।
साल 2024 में मोहिनी एकादशी का शुभ मुहूर्त 18 मई को सुबह 11 बजकर 23 मिनट से शुरू होगा। और इसका समापन अगले दिन 19 मई को दोपहर 1 बजकर 50 मिनट पर होगा। हिन्दू धर्म में सूर्योदय के समय का शुभ मुहूर्त ही मान्य किया जाता है। इसलिए उदयातिथि की अनुसार मोहिनी एकादशी 19 मई को मनाई जाएगी।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन में अमृत कलश निकला था। इसको लेकर देवताओं और असुरों के बीच खींचतान होने लगी। हर कोई अमृत ग्रहण करके अमरत्व प्राप्त करना चाहता था। देवता इस दौड़ में असुरों से पीछे छूटे जा रहे थे। यह देखकर सभी ने भगवान विष्णु से इस समस्या का समाधान निकालने के लिए निवेदन किया। ऐसे में भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धरकर असुरों को सम्मोहित कर दिया और अमृत कलश देवताओं को दिला दिया। जिससे देवता अमृत पीकर अमर हो गए। भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप इसी एकादशी पर धरा था। इसलिए इस एकादशी को मोहिनी एकादशी कहा जाता है।
इस एकादशी का महत्व स्वयं भगवान कृष्ण ने युधिष्ठिर से बताया था। इस दिन पूरी श्रद्धा और मन के साथ व्रत करने से यज्ञ कराने के बराबर पुण्य फल की प्राप्ति होती है। साथ ही सहस्त्र गाय दान करने के बराबर पुण्य फल मिलता है।
हिन्दू धर्म में दान का बड़ा महत्व है, शास्त्रों में वर्णित है कि जब कोई जरूरतमंदों को दान देता है तब उसे पापों से मुक्ति मिलती है। इस दुनिया में आने के पश्चात लोगों को दान जरूर करना चाहिए, क्योंकि दान ही वो चीज है जो मृत्यु के पश्चात भी आपके साथ जाती है। अन्यथा बाकी सब तो यहीं रह जाता है। शास्त्रों और पुराणों में दान के महत्व का विस्तृत उल्लेख किया गया है।
अथर्ववेद में दान को लेकर कहा गया है-
शतहस्त समाहर सहस्त्रहस्त सं किर।
कृतस्य कार्यस्य चेह स्फातिं समावह।।
अर्थात् सौ हाथों से धन अर्जित करो और हजारों हाथों से धन को पात्र व्यक्तियों को बांटो। आपके दान कार्यों की इस जगत में प्रसिद्धि हो।
दान का उल्लेख करते हुए कूर्मपुराण में कहा गया है-
स्वर्गायुर्भूतिकामेन तथा पापोपशान्तये।
मुमुक्षुणा च दातव्यं ब्राह्मणेभ्यस्तथाअवहम्।।
अर्थात् स्वर्ग, दीर्घायु तथा ऐश्वर्य के अभिलाषी और पाप की शांति तथा मोक्ष की प्राप्ति के इच्छुक व्यक्ति को ब्राह्मणों और पात्र व्यक्तियों को भरपूर दान करना चाहिए।
मोहिनी एकादशी के शुभ अवसर पर अन्न और भोजन का दान सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। साथ ही इस पुण्यकारी दिन पर वस्त्र और शिक्षा दान का भी विशेष महत्व है। इस दिन दीन-हीन, असहाय बच्चों को भोजन कराने तथा वस्त्र दान करने के साथ शिक्षा से संबंधित चीजें दान करना पुण्यकारी माना जाता है। वरुथिनी एकादशी के पुण्यकारी अवसर पर नारायण सेवा संस्थान के भोजन दान, वस्त्र दान और शिक्षा दान के प्रकल्प में सहयोग करके पुण्य के भागी बनें।