भारत में हर माह में कोई न कोई त्यौहार मनाया जाता है। इसी कड़ी में संक्राति का त्यौहार सनातन परंपरा में हर माह आता है। हर महीने सूर्य देव दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं। माघ मास में देशभर में कुम्भ संक्रांति मनाने की परंपरा है। इस दौरान पूजा-पाठ, यम, सूर्य पूजा करने का विधान है जिससे व्यक्ति को सुख-सौभाग्य, ब्रह्म लोक की प्राप्ति होती है।
कहा जाता है कि कुंभ संक्राति पर सूर्य देव की उपासना से आरोग्य जीवन का आशीर्वाद प्राप्त होता है। आगामी 13 फरवरी को सूर्य कुंभ राशि में गोचर करने वाले हैं, ऐसे में इस दिन कुंभ संक्रांति मनाई जाएगी।
कुंभ संक्रांति महत्व
सनातन परंपरा में संक्रांति तिथि का उतना ही महत्व माना जाता है, जितना पूर्णिमा, अमावस्या तथा एकादशी का माना जाता है। कुंभ संक्रांति के दिन जब सूर्य देव शनि भगवान की राशि कुंभ में रहते हैं तो इस दिन स्नान-दान का बड़ा महत्व होता है। कहा जाता है कि इस दिन स्नान करने के बाद दान देने से मान-सम्मान में वृद्धि होती है और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। कुंभ संक्रांति पर भोजन दान के साथ गेहूं, गुड़, लाल फूल, लाल वस्त्र, तांबा, तिल आदि का दान पुण्यकारी माना जाता है। इस संक्रांति पर सूर्य देव की उपासना करने से कुंडली में सूर्य मजबूत होता है। जिससे जातक को करियर में तरक्की मिलती है साथ ही घरवालों का प्यार और सहयोग प्राप्त होता है। समाजसेवा करने वालों और राजनीति करने वाले लोगों को बड़ा फायदा होता है।
कुंभ संक्रांति पूजा विधि
कुंभ संक्रांति के दिन प्रातः काल उठकर गंगा नदी में स्नान करने की परंपरा है। अगर कोई व्यक्ति गंगा नदी में स्नान करने नहीं जा सकता तो उसे घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए। स्नान करने के बाद सूर्य भगवान को अर्घ्य दें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद मंदिर में जाकर भगवान के दर्शन करें, वहां दीपक जलाएं और विधिवत पूजा करें। भगावन सूर्य के नामों का जाप करें और सूर्य चालीसा का पाठ करें।
दान का महत्व
इस दिन दीन-दु:खी असहाय लोगों को सीधा दान करने का बड़ा महत्व है। सीधे में आप एक थाली में आटा, नमक, तेल, चावल, घी, गुड, दाल इत्यादि का दान कर सकते हैं। सीधा दान को आमान्न दान भी कहा जाता है। कहा जाता है कि यह दान देने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और सभी अटके कार्य पूर्ण होने लगते हैं।
भोजन दान:
कुंभ संक्रांति के पावन अवसर पर भोजन दान बहुत बड़ा दान माना जाता है। इसलिए साधकों को इस दिन गरीब और असहाय लोगों को भोजन जरूर करवाना चाहिए। इससे जातकों को सूर्य भगवान की कृपा प्राप्त होती है।
वस्त्र और शिक्षा दान:
इस दिन यदि निर्धन और असहाय लोगों को अन्न और भोजन दान के साथ वस्त्र दान भी किया जाए तो पुण्य का फल दोगुना हो जाता है। कहा जाता है कि कुंभ संक्रांति पर वस्त्र दान करने से अंत समय में उत्तम धाम की प्राप्ति होती है। साथ ही अनेक पाप नष्ट हो जाते हैं।
तांबा और तिल दान:
कुंभ संक्रांति के पवित्र अवसर पर तांबे का दान करने से मंगल और सूर्य संबंधित दोष स्वतः ही दूर हो जाते हैं। साथ ही तिल का दान करने से पितृ दोष समाप्त होता है और कर्ज मुक्ति मिलती है।