07 February 2024

जया एकादशी 2024: पूजा विधि, वर्त कथा धार्मिक मान्यताएं और दान का महत्व

हिन्दू धर्म में एकादशी बेहद महत्वपूर्ण त्यौहार है जो हर माह के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष के ग्यारहवें दिन मनाया जाता है। यह दिन शंख-चक्र, गदाधारी भगवान विष्णु की आराधना के लिए समर्पित है। एकादशी के दिन भक्त उपवास रखते हैं, जरूरतमंदों को दान देते हैं और भगवान से मोक्ष की कामना करते हैं। 

 

जया एकादशी का महत्व 

जया एकादशी को मुक्ति का द्वार कहा जाता है। कहा जाता है कि जो भी इस दिन व्रत रखता है और भगवान नारायण की पूजा करता है उसे मृत्य के पश्चात पिशाच योनी से मुक्ति मिल जाती है। मृत्यु के बाद वह भूत-प्रेत नहीं बनता है। व्रत रखने वाले लोगों को भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही आजीवन माँ लक्ष्मी की कृपा उसके ऊपर बरसती रहती है। जया एकादशी को जन्म एवं पूर्व जन्म के समस्त पापों का नाश करने वाली माना जाता है। इस एकादशी का उल्लेख सनातन धर्म के पद्म पुराण में मिलता है। जिसमें कहा गया है, “जिसने जया एकादशी का व्रत किया है और दान दिया है, उसे अग्निष्टोम यज्ञ आयोजित कराने के बराबर पुण्य फल की प्राप्ति होती है।”

 

जया एकादशी की पूजा विधि

एकादशी के दिन भक्तों को प्रातः काल ही स्नान कर लेना चाहिए। स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करके व्रत का संकल्प लें। इसके उपरांत लकड़ी के पाटे में पीला कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु के मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद भगवान नारायण को पीला चंदन, अक्षत, फूल, माला,फल, पंचामृत, तुलसी दल आदि अर्पित करके विधिवत पूजा करें। जय एकादशी की व्रत कथा पढ़ें। पीले लड्डुओं का भोग लगाएं। अंत में घी के दीपक और धूप से आरती करें। इसके बाद ब्राह्मणों, असहाय और निर्धन बच्चों को भोजन कराएं और और जररूतमंदों की मदद करें। 

 

दान का महत्व 

किसी भी उपवास या व्रत रखने के बाद गरीब और जरूरतमंदों को दान देना सनातन परंपरा में बेहद पुण्यकारी माना जाता है। दान देने का उल्लेख हिन्दू धर्म के विभिन्न ग्रंथों और पुराणों में मिलता है। जरूरतमंदों को दान देने के महत्व को बताते हुए महाभारत के शांति पर्व में कहा गया है-

 

दानं धर्म: परोपकार: पुण्याय: पापनाशनम्।

नैव तत् कर्म लभ्यते यद् दानेन समन्वितम्।।

 

अर्थात् दान धर्म है, परोपकार है, पुण्य है, पापों का नाश करने वाला है। दान के समान कोई कर्म नहीं है।

 

जया एकादशी पर करें इन चीजों का दान 

 

अन्न और भोजन का दान :

सनातन परंपरा में अन्न का दान सबसे अच्छा माना जाता है। इसलिए इस दिन निर्धन और असहाय बच्चों को अन्न का दान करना चाहिए। जया एकादशी के पुण्यकारी अवसर पर निर्धन बच्चों को भोजन कराने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही भोजन कराने वाले दानदाता के ऊपर माँ अन्नपूर्णा की कृपा होती है। नारायण सेवा संस्थान जया एकादशी पर दीन-हीन, दिव्यांग बच्चों को भोजन कराने जा रहा है। इस पावन दिन पर बच्चों को भोजन कराने हेतु सहयोग करें। 

वस्त्र और शिक्षा दान:

एकादशी के शुभ अवसर पर वस्त्र और शिक्षा दान का भी अपना अलग ही महत्व है। ऐसे में आप एकादशी के दिन निर्धन बच्चों को शिक्षा से संबंधित सामग्री जैसे- कॉपी, किताब, पेंसिल, पेन, स्कूली बैग इत्यादि वितरित करें। साथ ही यदि हो सके तो इस दिन किसी निर्धन बच्चे शिक्षित करने के लिए संकल्प लें। जया एकादशी के शुभकारी अवसर पर नारायण सेवा संस्थान के वस्त्र दान और शिक्षा दान करने के आंदोलन में सहयोग करके पुण्य के भागी बनें।