सनातन धर्म की दिव्य परंपराओं में अक्षय तृतीया एक अत्यंत शुभ और पुण्यदायक तिथि के रूप में प्रतिष्ठित है। यह दिन “अक्षय” अर्थात् कभी न क्षीण होने वाला फल प्रदान करने वाला माना गया है। यही कारण है कि इस दिन का प्रत्येक शुभ कार्य अनंत गुना फलदायक होता है।
यह तिथि न केवल नवीन आरंभों और संपन्नता का प्रतीक है, बल्कि यह दिन पारलौकिक पुण्य और दैवीय कृपा प्राप्त करने का अमूल्य अवसर भी है। पुराणों में वर्णित है कि इसी दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम जी का प्राकट्य हुआ था और भागीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर माँ गंगा का धरती पर अवतरण भी इसी पुण्य तिथि पर हुआ था।
दान की महिमा
शास्त्रों में कहा गया है—
यावज्जीवम् दानशीलता धर्मस्य मूलं स्मृतम्
जब तक जीवन है, दान की प्रवृत्ति धर्म का मूल है।
अक्षय तृतीया पर दान करना आत्मा की शुद्धि, मन की पवित्रता और जीवन की उन्नति का साधन है। इस दिन सेवाभाव से किया गया अन्नदान अनंत गुना फलदायक होता है।
माँ लक्ष्मी का विशेष दिवस
अक्षय तृतीया को माँ लक्ष्मी का प्रिय दिवस माना गया है। जो जन इस दिन जरुरतमन्द, गरीब, असहाय और दिव्यांगों की सेवा में अपने धन का अंश समर्पित करते हैं, उनके घर माँ लक्ष्मी अक्षय वैभव और सद्गृहस्थ सुख प्रदान करती हैं। सनातन परंपरा के विभिन्न ग्रंथों में दान के महत्व को विस्तार से बताया गया है।
गोस्वामी तुलसीदास जी ने दान के महत्व का उल्लेख करते हुए लिखा है —
तुलसी पंछी के पिये घटे न सरिता नीर।
दान दिये धन ना घटे जो सहाय रघुवीर।।
अर्थात् जैसे नदी का जल पक्षियों के पीने से कभी कम नहीं होता, उसी प्रकार भगवान राम की कृपा से दान देने से घर में कभी भी धन की कमी नहीं होती, अपितु और अधिक बढ़ता ही है।
नारायण सेवा संस्थान सेवायज्ञ में सहयोग करें
इस अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर नारायण सेवा संस्थान दीन-हीन, असहाय, निर्धन और दिव्यांग बच्चों को मीठा भोजन करवा रहा है। आप भी इस पुण्यदायी अनुष्ठान में सहभागी बनें और तन-मन-धन से इस दिव्य सेवा प्रकल्प में योगदान देकर अक्षय पुण्य प्राप्त करें।
भोजन कराने के लिए सहयोग करें।