कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाने वाला धनतेरस दीपावली महापर्व का प्रथम दिवस होता है। यह दिन खरीददारी के साथ धन, आरोग्य और ऐश्वर्य की प्राप्ति का विशेष अवसर माना जाता है। इस दिन भगवान धन्वंतरि, माता लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर की आराधना करने से जीवन में सुख-समृद्धि और निरोगी काया का आशीर्वाद मिलता है।
हिंदू धर्मशास्त्रों में धनतेरस को अत्यंत पवित्र पर्व माना गया है। मान्यता है कि इस दिन जो भी व्यक्ति श्रद्धापूर्वक पूजा और खरीददारी करता है, उसके घर में धन-धान्य की तेरह गुना वृद्धि होती है। यही कारण है कि इस दिन लोग नए बर्तन, सोना-चांदी और अन्य शुभ वस्तुएं खरीदना अनिवार्य मानते हैं।
इस साल कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 18 अक्टूबर को पड़ रही है। जिसका शुभ मुहूर्त 18 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 18 मिनट पर शुरू होगा और समापन 19 अक्टूबर को दोपहर 01 बजाकर 51 मिनट पर होगा। दृक पंचांग के अनुसार, इस साल का त्यौहार 18 अक्टूबर को मनाया जाएगा।
धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा का विधान है। भगवान धन्वंतरि को देवताओं का दिव्य वैद्य माना जाता है। वे आयुर्वेद के आद्य प्रवर्तक हैं। आयुर्वेद रोग निवारण के साथ ही समग्र जीवन शैली और स्वास्थ्य का शास्त्र है। पुराणों में वर्णन आता है कि जब देवताओं और असुरों ने समुद्र मंथन किया, तब अमृत कलश लेकर भगवान धन्वंतरि प्रकट हुए।
उनके एक हाथ में अमृत का कलश और दूसरे हाथ में औषधीय जड़ी-बूटियाँ थीं। यही स्वरूप आज भी उन्हें आरोग्य और अमरत्व का प्रतीक बनाता है। धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि की आराधना करने से जीवन में रोग-शोक का नाश होता है और परिवार में दीर्घायु, स्वास्थ्य और शांति बनी रहती है।
इस दिन प्रातः स्नान करके घर को शुद्ध किया जाता है और सायंकाल दीप प्रज्वलित किए जाते हैं। भगवान कुबेर की विधिवत पूजा की जाती है। मान्यता है कि कुबेर भगवान को धन और संपत्ति का संरक्षक माना गया है, इसलिए इस दिन उनकी उपासना करने से जीवन में अक्षय धन की प्राप्ति होती है।
साथ ही माता लक्ष्मी को दीप, फूल और नैवेद्य अर्पित कर आराधना की जाती है। घर में प्रवेश करने वाले दीपक से अंधकार और नकारात्मकता का नाश होता है और परिवार में सुख-समृद्धि का वास होता है।
धनतेरस पर खरीदारी के लिए प्रातः 7:11 बजे से रात्रि 8:35 बजे तक का समय शुभ है। साथ ही दोपहर 12:01 से 12:48 बजे तक का अभिजीत मुहूर्त और दोपहर 1:51 से 3:18 बजे तक का लाभ-उन्नति चौघड़िया भी अत्यंत फलदायी माना गया है। इस समय यदि आप सोना-चांदी, बर्तन या देवी-देवताओं की मूर्तियां खरीदते हैं तो घर में लक्ष्मी कृपा, धन और सौभाग्य की वृद्धि होती है।
इस वर्ष धनतेरस पर पूजन का श्रेष्ठ समय सायं 7:44 बजे से रात 8:41 बजे तक है। इस समय भगवान धन्वंतरि, माता लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर की आराधना करें।
पूजन से पहले पूजा स्थल की सफाई करें। एक चौकी पर लाल या पीले वस्त्र बिछाएं और उस पर भगवान धन्वंतरि, माता लक्ष्मी और कुबेर जी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। चौकी के बगल से धनतेरस के दिन लाए गए बर्तन, सोना-चांदी के सिक्के, आभूषण आदि रखें। अगर कुछ न लाए हों तो रुपये-पैसे रख दें। सबसे पहले दीपक जलाएं। भगवान को फल, फूल, मिठाई और धन का प्रतीक माने जाने वाले धनिया के बीज अर्पित करें। पूजा के बाद श्रद्धापूर्वक धनतेरस की कथा सुनें। अंत में आरती करें और भगवान से निरोगी जीवन और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मांगें।
धनतेरस का नाम लेते ही सबसे पहले खरीददारी की परंपरा मन में आती है। यह परंपरा धार्मिक आस्था के रूप में लोगों के बीच विद्यमान है।
शास्त्रों में कुछ वस्तुओं को इस दिन लेने की मनाही भी बताई गई है।
धनतेरस का यह पर्व हमें धन, स्वास्थ्य और समृद्धि की साधना करने का अवसर प्रदान करता है। इस पावन अवसर पर हम सब भगवान धन्वंतरि से प्रार्थना करें कि वे हमें निरोगी जीवन और आरोग्य प्रदान करें, माता लक्ष्मी हमें सदैव धन और ऐश्वर्य का आशीर्वाद दें और भगवान कुबेर हमारे जीवन में सदैव सौभाग्य और संपन्नता की वर्षा करें।