10 October 2025

क्यों मनाई जाती है नरक चतुर्दशी? छोटी दिवाली पर इन स्थानों पर जलाएं दीया

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भारतवर्ष त्यौहारों की भूमि है। यहाँ हर पर्व न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि जीवन को सकारात्मक दिशा देने वाला संदेश भी देता है। दीपावली के त्यौहार से एक दिन पूर्व आने वाली नरक चतुर्दशी जिसे रूप चौदस या छोटी दिवाली के नाम से जाना जाता है, अत्यंत शुभ और पावन पर्व माना जाता है। यह सनातन परंपरा का वह दिव्य पर्व है जो आत्मा को अंधकार से उजाले की ओर ले जाता है।

 

नरक चतुर्दशी 2025 कब है?

वैदिक पंचांग के अनुसार इस साल नरक चतुर्दशी 19 अक्टूबर को मनाई जाएगी। जिसका शुभ मुहूर्त दोपहर 01 बजकर 51 मिनट पर शुरू होगा और समापन अगले दिन दोपहर 03 बजकर 44 मिनट पर होगा। नरक चतुर्दशी के दिन संध्याकाल में दीपक प्रज्वलित किये जाते हैं।

 

नरक चतुर्दशी का महत्व

कहा जाता है कि नरकासुर नामक असुर ने अत्याचार, अहंकार और अन्याय के अंधकार से इस दुनिया में आतंक मचा रखा था। उसके अत्याचार से देव-असुर सहित तीनों लोकों के प्राणी त्रस्त हो चुके थे। तब भगवान श्रीकृष्ण ने धर्म की ढाल बनकर चतुर्दशी के दिन नरकासुर का संहार किया और सोलह हजार बंदी कन्याओं को मुक्त कराया। इसलिए हर साल कार्तिक माह की चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है। 

 

पारंपरिक रीति-रिवाज

रूप चौदस पर कई पारंपरिक कर्म निभाए जाते हैं, जिन्हें त्यौहार के शुभ मौके पर अवश्य करना चाहिए। 

  • प्रातःकाल अभ्यंग स्नान (उबटन/तेल स्नान): इस दिन सूर्योदय से पूर्व उबटन और तेल लगाकर स्नान करने की परंपरा है। इससे शरीर को नवीन ऊर्जा प्राप्त होती है और यह सौन्दर्य को निखारने के लिए किया जाता है। 
  • दीपदान: घर के मुख्य द्वार, पूजा-स्थान, रसोई और तुलसी के निकट दीप प्रज्वलित करें। दीप आंतरिक व बाहरी दोनों प्रकार के अंधकार को दूर करता है और सुख-समृद्धि का द्योतक होता है। 
  • घर की सफाई व रंगोली: घर की सफाई करके रंगोली बनाएं, ताजे और सुगंधित फूलों से द्वार सजायें। 
  • भोजन और प्रसाद: परंपरा अनुसार विशेष पकवान बनाएं और आस-पड़ोस के लोगों के साथ साझा करें। दीपावाली के त्यौहार पर यह एक पुण्य का कार्य माना जाता है। यह समाजिक मेलजोल और स्नेह को प्रोत्साहित करता है।
  • आरती-पूजन: देवी-देवताओं का संकल्पपूर्वक स्मरण करें। मन्त्रों का उच्चारण और आरती करें। पूरे मन के साथ पूजा विधि और दीप प्रज्वलन करें। 

 

किन स्थानों पर दीप जलाएँ

रूप चौदस पर दीपदान का विशेष महत्व है। शास्त्रों और लोक विश्वास दोनों में कुछ स्थान ऐसे बताए जाते हैं जहाँ दीप जलाने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है:

  • प्रवेश-द्वार पर: घर के मुख्य द्वार पर दीपक प्रज्वलित करें। घर के द्वार पर दीप जलाने से माँ लक्ष्मी का स्वागत होता है और घर में समृद्धि आती है।
  • पूजा स्थान/घर का मंदिर: इस दिन भगवान के सामने दीपक जलाएं। ईश्वर के सामने दीपक रखना श्रद्धा व आत्मसात का प्रतीक है।
  • रसोई के पास: रसोई में दीपक जलाकर रखें। अन्नपूर्णा देवी की कृपा हेतु रसोई में दीप जलाना शुभ माना जाता है।
  • तुलसी के निकट: तुलसी का स्थान पवित्र माना गया है; यहाँ दीप जलाने से धार्मिकता और शुद्धि बनी रहती है। इसलिए तुलसीघर के ऊपर दीपक जलाकर अवश्य रखें। 
  • आँगन, छत व घर के कोने: दुकानों, व्यावसायिक स्थलों और घर के कोनों में दीपक जलाएं। यहाँ दीपक रखने से घर-परिवार के चारों ओर उजाला बना रहता है और शुभ चीजों का आगमन होता है। 

नरक चतुर्दशी का पर्व हमें अंतर्मन के अंधकार को मिटाने की प्रेरणा देता है। जिस प्रकार दीपक जलाकर हम घर को रोशन करते हैं, उसी प्रकार सत्य, धर्म और सदाचार का दीप जलाकर हमें जीवन को प्रकाशित करना चाहिए।

यह दिन हमें सिखाता है कि जैसे श्रीकृष्ण ने नरकासुर का संहार कर संसार को भयमुक्त किया, वैसे ही हमें अपने भीतर के अहंकार और पाप रूपी नरकासुर को नष्ट करना चाहिए। तभी जीवन में वास्तविक सुख, शांति और दिव्यता का अनुभव संभव है।

 

नरक चतुर्दशी 2025 पर प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

प्रश्न: नरक चतुर्दशी 2025 कब है?

उत्तर: साल 2025 में नरक चतुर्दशी का पर्व 19 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा।

प्रश्न: क्या नरक चतुर्दशी (छोटी दीवाली) और दिवाली एक ही दिन मनाई जाती हैं?

उत्तर: वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास में नरक चतुर्दशी आती है। यह दिवाली की 5 तिथियों के त्यौहार का दूसरा दिन है, जबकि दीपावली तीसरे दिन मनाई जाती है। इसलिए नरक चतुर्दशी (छोटी दिवाली) और दीपावली अलग-अलग दिन मनाई जाती है।

प्रश्न: नरक चतुर्दशी मनाने के पीछे क्या उद्देश्य है?

उत्तर: ऐसा माना जाता है कि इसी दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर नामक दैत्य का वध किया था, इसलिए भारत में इस दिन को नरक-चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है।

 

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