सनातन परंपरा में अमावस्या बेहद महत्वपूर्ण त्यौहार है। इस दिन पवित्र नदियों या जल स्रोतों में स्नान करना बेहद पुण्यदायी माना जाता है। इस दिन पीपल के वृक्ष की उपासना करने का विधान है साथ ही अमावस्या के पवित्र दिन देवाधिदेव महादेव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। पौराणिक मान्यताओं में कहा गया है कि पीपल के वृक्ष में देवी देवताओं का वास होता है इसलिए यदि कोई भी व्यक्ति इस दिन पीपल के वृक्ष में जल अर्पित करता है तो भगवान उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।
अमावस्या की पूजन विधि
अमावस्या के दिन भगवान की पूजा करने के लिए सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठें पवित्र जल स्रोतों में स्नान के लिए जाएं। अगर हो सके तो इस दिन गंगा नदी में स्नान जरूर करें। यदि आप किसी पवित्र नदी में स्नान करने नहीं जा पाते हैं तो घर पर ही स्नान करें। इसके बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें और उन्हें प्रणाम करें। स्नान के बाद दीन, दु:खी और असहाय लोगों को दान जरूर करें। इससे भगवान प्रसन्न होते है और सुखी जीवन का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
अमावस्या की व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक राज्य में एक गरीब ब्राह्मण रहता था। वह बेहद गरीब था। घर में पैसों की कमी के कारण उसकी पुत्री के विवाह में अड़चन आ रही थी और बहुत कोशिश के बावजूद उसकी पुत्री का विवाह नहीं हो पा रहा था। अपनी गरीबी से तंग आकार एक दिन पति और पत्नी साधु के पास पहुंचे, वहां उन्होंने साधु से अपने पुत्री का विवाह न हो पाने का कारण पूछा। इस पर साधु ने बताया कि पास के दूसरे गांव में एक धोबिन रहती है। वह अपने बहू और बेटे के पास रहती है। यदि आपकी बेटी उस धोबिन की सेवा करे तो धोबिन खुश होकर उसे अपनी मांग का सिंदूर दे देगी, जिससे कन्या का विवाह हो जाएगा। यह सुनकर पति-पत्नी घर आए और उन्होंने यह बात अपनी बेटी को बताई। जिसके बाद उनकी बेटी धोबिन के घर जाकर सारा काम करने लगी। इसकी भनक धोबिन और उसकी बहू को नहीं लग पाई।
कुछ दिनों बाद धोबिन को समय के पहले काम खत्म होने पर शक होने लगा। इस पर धोबिन ने अपनी बहू से पूछा कि तुम इतना सारा काम इतनी जल्दी कैसे कर लेती हो? इस पर बहू बोली, मुझे लगता है कि ये सारा काम आप करती हैं। बहू का उत्तर सुनते ही धोबिन चौंक गई और उसने घर के काम काज पर नजर रखना शुरू कर दिया। धोबिन ने एक दिन सुबह जल्दी उठकर देखा तो एक कन्या चुपचाप घर का सारा काम कर रही थी। यह कई दिनों तक लगातार चलता रहा। इस पर एक दिन धोबिन ने उस कन्या से इसका कारण जानना चाहा।
इस पर कन्या ने साधू द्वारा कही गई सारी बात धोबिन को बता दी। उसकी बात सुनकर धोबिन ने अपनी मांग का सिंदूर उसे दिया और उसी समय उसके पति की मृत्यु हो गई। यह सब देखकर कन्या बहुत दु:खी हुई और उसी समय घर से निकल गई। एक पीपल के पेड़ के पास पहुंचकर वो बैठ गई। थोड़ी देर बाद उसने 108 ईंटों के टुकड़े एकत्र किए और उन टुकड़ों को लेकर 108 बार परिक्रमा करके एक-एक बार फेंकने लगी। कन्या के ऐसा करने से धोबिन का पति जीवित हो गया। उस दिन अमावस्या का दिन था और पीपल के पेड़ की परिक्रमा करने से कन्या को शुभ फल की प्राप्ति हुई।