भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को भाद्रपद सोमवती अमावस्या कहा जाता है। भारतीय संस्कृति और हिंदू धर्म में अमावस्या का विशेष महत्व है, क्योंकि यह तिथि पितरों के श्राद्ध और तर्पण के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है। भाद्रपद अमावस्या को ‘कुशग्रहणी अमावस्या‘ के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन विशेष रूप से पवित्र कुशा घास को संग्रहित करने की परंपरा है। इस अमावस्या के दिन वर्ष भर पूजा, अनुष्ठान या श्राद्ध कराने के लिए नदी, तालाब, मैदानों आदि जगहों से कुशा नामक घास उखाड़ कर घर लाई जाती है। यही कारण है कि इसे कुशग्रहणी अमावस्या भी कहा जाता है।
भाद्रपद मास की सोमवती अमावस्या का शुभ मुहूर्त 1 सितंबर 2024 की रात 12 बजकर 44 मिनट से शुरू हो रहा है जो अगले दिन 2 सितंबर 2024 को रात 2 बजकर 34 मिनट तक रहेगा। हिन्दू धर्म में उदयातिथि का महत्व है इसलिए उदयातिथि के हिसाब से यह अमावस्या 2 सितंबर को मनाई जाएगी। इस बार की भाद्रपद अमावस्या सोमवार को पड़ रही है इसलिए इसे सोमवती अमावस्या कहा जा रहा है।
अमावस्या तिथि को श्राद्ध कर्म करने के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। वहीं भाद्रपद मास की अमावस्या पितृ पक्ष के ठीक पहले पड़ती है। इस अमावस्या के कुछ दिन बाद ही पितृ पक्ष की शुरुआत हो जाती है। इसलिए इस अमावस्या का महत्व और भी बढ़ जाता है। कहा जाता है कि भाद्रपद अमावस्या के पुण्यकारी अवसर पर भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने से शुभ फलों की प्रप्ति होती है। इस पूजा से प्रसन्न होकर भगवान के साथ-साथ पितर भी साधक को अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
सनातन धर्म में हजारों वर्षों से दान की परंपरा चली आ रही है इसलिए धार्मिक ग्रंथों एवं शास्त्रों में दान को मानव जीवन के अनिवार्य पहलुओं में शामिल किया गया है। अगर पौराणिक ग्रंथों को देखा जाए तो हिन्दू धर्म के विभिन्न ग्रंथों के श्लोकों में दान के महत्व का उल्लेख मिलता है। लोग मन की शांति, मनोकामना पूर्ति, पुण्य की प्राप्ति, ग्रह-दोषों के प्रभाव से मुक्ति और भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए दान करते हैं।
लेकिन दान का पुण्य आपको तभी प्राप्त होता है जब सही काल पर पात्र व्यक्ति को दान दिया गया हो। दान सही तरीके और सच्चे मन में किया गया हो। गरुड़ पुराण में भगवान विष्णु द्वारा दान के महत्व को विस्तार से बताया गया है।
दान के महत्व का उल्लेख करते हुए कूर्मपुराण में कहा गया है-
स्वर्गायुर्भूतिकामेन तथा पापोपशान्तये।
मुमुक्षुणा च दातव्यं ब्राह्मणेभ्यस्तथाअवहम्।।
अर्थात् स्वर्ग, दीर्घायु तथा ऐश्वर्य के अभिलाषी और पाप की शांति तथा मोक्ष की प्राप्ति के इच्छुक व्यक्ति को ब्राह्मणों और पात्र व्यक्तियों को भरपूर दान करना चाहिए।
सोमवती अमावस्या पर दान का बड़ा महत्व माना जाता है। कहा जाता है कि इस शुभ दिन पर अन्न और भोजन का दान सर्वोत्तम है। भाद्रपद मास की सोमवती अमावस्या के पुण्यकारी अवसर पर नारायण सेवा संस्थान के दीन-हीन, निर्धन, दिव्यांग बच्चों को भोजन दान करने के प्रकल्प में सहयोग करके पुण्य के भागी बनें।
भाद्रपद मास की सोमवती अमावस्या 2 सितंबर 2024 को है।
सोमवती अमावस्या पर ब्राह्मणों तथा दीन-हीन, असहाय निर्धन लोगों को दान देना चाहिए।
सोमवती अमावस्या के शुभ अवसर पर अन्न, भोजन, फल आदि दान में देना चाहिए।