13 January 2023

माघ माह की मौनी अमावस्या।

हिंदू धर्म में माघ मास बहुत ही पवित्र और महत्वपूर्ण माना गया है। माघ के महीने में सूर्यदेव धनु राशि की अपनी यात्रा को विराम देते हुए अपने पुत्र शनि की राशि मकर में प्रवेश करते हैं। इस माह मकर संक्रांति, षटतिला एकादशी, सकट चौथ, मौनी अमावस्या, बसंत पंचमी, और अचला सप्तमी जैसे प्रमुख त्यौहार आते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार हर माह के कृष्ण पक्ष की आखिरी तिथि अमावस्या होती है। माघ महीने में आने वाली और साल की पहली अमावस्या को मौनी अमावस्या या माघी अमावस्या कहा जाता है। 

पंचांग के अनुसार 7 जनवरी से इस वर्ष के माघ माह की शुरुआत होने जा रही है, और माघ माह की माघी अमावस्या 21 जनवरी 2023, शनिवार को सुबह 06 बजकर 17 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 22 जनवरी 2023, रविवार को सुबह 02 बजकर 22 मिनट पर समाप्त होगी। 

 

मौनी अमावस्या की पौराणिक मान्यताएं।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन का नाम मौनी होने के पीछे प्रख्यात कथा है, इस दिन ब्रह्मा के मानस पुत्र मनु ऋषि का जन्म हुआ था। मनु शब्द से ही मौनी की उत्पत्ति हुई थी। इस दिन साधु संत मौन रहकर स‍ि‍द्धियों को प्राप्त किया करते थे, जिसका पालन आज भी किया जा रहा है। वहीँ इसे मनाने की दूसरी कहानी समुद्र मंथन से जुड़ी हुई है। धार्मिक मान्यता के अनुसार जब समुद्र मंथन हो रहा था और अमृत पान को लेकर दोनों ही पक्षों देवताओं और दैत्यों के बीच खींचतान जारी थी तभी भगवान धन्वन्तरि के हाथों अमृत कलश से कुछ बूँदें प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में जा गिरी। तभी से इन स्थानों पर माघ मास के दिन स्नान करने की प्रथा चली आ रही है ताकि मनुष्य अपने पापों का विनाश कर पुण्य की प्राप्ति कर सके।

 

मौन व्रत का महत्व।

हिन्दू धर्म में एक साल में आने वाली सभी 12 अमावस्या तिथियों में से सावन मास और माघ मास की अमावस्या तिथि सर्वाधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है। साथ ही साल की सभी अमावस्या में यह एकमात्र अमावस्या है जिसमें स्नान-दान के अलावा मौन व्रत रखने को भी महत्वपूर्ण माना गया है। माघ मास की मौनी अमावस्या के दिन संतों की तरह मौन व्रत का विशिष्ट महत्व है। इस दिन मौन रहकर जप, तप, साधना, पूजा-पाठ करना चाहिये। यदि चुप रहना संभव नहीं है तो कम से कम अपने मुख से कोई भी कटु शब्द न निकालें। मौन रखने का वा​स्तविक अर्थ है बाहरी दुनिया से दूर रहकर खुद के अंतर्मन में झांकना, आत्ममंथन करना और मन के भीतर की अशुद्धियों को दूर कर मन को शद्ध करना। शास्त्रों के अनुसार चंद्रमा को मन का स्वामी माना जाता है और अमावस्या को चंद्रमा के दर्शन नहीं होते, जिससे मन की स्थिति कमज़ोर रहती है। इसलिए इस दिन मौन व्रत रखकर मन को संयमित किया जाता है। मन विचलित है, गलत विचारों और बुराइयों से भरा रहता है, इसलिए मौन रखकर मन को एकाग्र किया जाता है। मौन व्रत रखने से शरीर की ऊर्जा और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। माना जाता है कि बोलकर ईश्वर का जाप करने से जितना पुण्य मिलता है, उससे कई अधिक पुण्य मन में ईश्‍वर का जप करने से मिलता है। प्रभु का स्मरण कर अंदर की अशुद्धियों को नष्ट करें इससे आपकी नकारात्मकता दूर होती है, आपके अंदर आध्यात्मिकता का विकास होता है और वाणी दोष से मुक्ति मिलती है। इस दिन भगवान विष्णु और सूर्य देव की पूजा करने का विधान है। सम्पूर्ण विधि विधान के साथ पूजा करने और मौन व्रत रखने से हर तरह के दोष दूर होते है। 

 

स्नान और दान का महत्व।

पुराणों में मौनी अमावस्‍या के दिन गंगा या अन्य पवित्र नदियों में स्‍नान का विशेष महत्‍व बताया गया है। माना जाता है इस दिन यहां देव और पितरों का संगम होता है। माघ महीने में देवता प्रयागराज आकर अदृश्‍य रूप से संगम में स्‍नान करते हैं और अमावस्या के दिन पितृगण पितृलोक से संगम में स्‍नान करने आते हैं और इस तरह देवता और पितरों का इस दिन संगम होता है साथ इस मुख्य घड़ी में गंगा का जल अमृत जैसा पवित्र माना जाता है गंगा स्नान से पाप धुल जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसलिए गंगा को मोक्षदायिनी भी कहा जाता है। गंगा के स्पर्श मात्र से ही राजा सगर के 60 हजार पुत्रों को मोक्ष प्राप्त हुआ था इसलिए मौनी अमावस्या के दिन गंगा स्नान सर्वाधिक महत्वपूर्ण और लाभकारी माना जाता है। अगर आप गंगा स्नान के लिए जाने में असमर्थ हैं तो किसी अन्य पवित्र नदी या कुंड स्नान जरूर करें, या घर में ही नहाने वाले पानी में थोड़ा सा गंगाजल डाल लें और गंगा ध्यान करते हुए स्नान करे।

मौनी अमावस्या पर ब्रह्म मुहूर्त में तीर्थ स्नान के साथ पूवर्जों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, पिंडदान करने से भौतिक सुख मिलता है। मौनी अमावस्या के दिन स्नान से पूर्व तक मौन व्रत रखा जाता है और इस दिन प्रायगराज, हरिद्वार समेत कई स्थानों पर महत्वपूर्ण रूप से दान भी किया जाता है। इस दिन मौन व्रत धारण कर स्नान और कथा के पाठ के पश्चात् मन में ईश्‍वर का जप करते हुए दान अवश्य करें। दान का विशेष प्रभाव जीवन में सदैव सुख समृद्धि लाता है।