तुलसी | सफलता की कहानियाँ | निःशुल्क नारायण कृत्रिम अंग वितरण

कृत्रिम पैर पाकर
दमक उठी तुलसी!

Start Chat


तुलसी को मिला नवजीवन

 

परिवार ने पहली संतान के रूप में बेटी के जन्म से खूब खुशियां मनाई। सुरेश . केसर देवी ने बेटी का नाम तुलसी रखा और परवरिश में लग गए। ट्रेक्टर चालक पिता और गृहणी माता बेटी के साथ आनन्दमय जीवन जी रहे थे। खुशी .ख़ुशी 4 साल बीत गए। सब ठीक चल रहा था कि सितंबर 2022 में एक घटना ने परिवार की खुशियों की बुनियाद को हिला कर रख दिया।

एक दिन जब घर के आंगन में तुलसी ;5द्ध खेल रही थी। उसके रोने की आवाज पर माँ दौड़ आई। बच्ची के करीब सांप को देख वह भी चिल्ला उठी। तत्क्षण सांप ने मासूम के बांए हाथ पर काट लिया। उसे राजसमंद के आरण्केण् हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया। समय पर पहुंचने से उपचार सम्भव हो पाया और जान बच गई। ठीक होने के बाद अचानक तीन दिन बाद तबियत बिगड़ने से उदयपुर के महाराणा भूपाल अस्पताल रेफर किया गया। जहां गहन चिकित्सीय जांच में पता चला कि सांप का जहर बांए पांव में फैल जाने से स्थिति बिगड़ी। डॉक्टरों ने उपचार कर जान तो बचा ली परन्तु पांव को नहीं बचा पाए। घुटने के नीचे वाले भाग में जहर फैलने से पांव को पंजे से काटना पड़ा।

करीब एक साल से एक पांव पर फुदकते हुए चलने को मजबूर बेटी के भविष्य को देख माता.पिता को बहुत तकलीफ़ होती पर कर भी क्या सकते थे। इसी बीच एक रिश्तेदार ने निःशुल्क कृत्रिम अंग लगवाने की सलाह देते हुए उदयपुर नारायण सेवा संस्थान जाने की बात कही। जो अंधेरे जीवन को रोशन करने वाली साबित हुई। बिना समय गंवाए वे 29 मई को तुलसी को लेकर संस्थान आए। जहां प्रोस्थेटिक और ऑर्थोटिक टीम ने जांच कर पांव का माप लिया। दो दिन बाद विशेष कृत्रिम पांव तैयार कर पहनाया गया। जिसे पहनते ही तुलसी आनंदित हो उठी।  बेटी को बिना सहारे चलते देख माता.पिता भी प्रफुल्लित हो उठे।

वे कहते हैं कि बेटी के भविष्य की चिंता अब दूर हो गईए पूरा परिवार संस्थान का जीवन भर आभारी रहेगा।