सुजीत कुमार | सफलता की कहानियाँ | निःशुल्क नारायण कृत्रिम अंग

समेट रहे सुजीत
जीवन के बिखरे रंग

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सफलता की कहानी : सुजीत

 

सोनभद्र (उप्र) निवासी सुजीत कुमार (29) ट्रक ड्राइविंग कर अपने माता-पिता और पत्नी के साथ खुशहाल जिंदगी बिता रहे थे। कि 4 मार्च, 2020 का दिन उनके जीवन के रंग बेरंग कर गया।

वे उस खौफनाक दिन के बारे में जब सोचते हैं तो सिहर उठते हैं। होटल पर चाय-नाश्ता कर अपनी गाड़ी में चढ़ ही रहते थे कि पीछे से आते अनियंत्रित ट्रेलर ने उनके वाहन को अपनी चपेट में ले लिया। इस हादसे में लहूलुहान पड़े देख आस-पास के लोगों ने उन्हें अस्पताल पहुंचाया। प्राथमिक उपचार के बाद मुंबई के सेन हॉस्पिटल में इलाज चला जहां 6 दिन बाद दांए पैर में इंफेक्शन होने से पांव को कटवाना पड़ा। कल तक दौड़ती जिंदगी बिस्तर पर आ गई। इलाज के खर्च के तले परिवार भी दब गया।

सोशल मीडिया से 2022 में नारायण सेवा संस्थान के निःशुल्क कृत्रिम अंग वितरण और सेवाकार्यों की जानकारी मिली तो उम्म्मीद बंधी और संस्थान आने पर विशेष कृत्रिम पांव तैयार कर लगाया गया। अपने दोनों पांवो पर खड़े होने पर चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ आई। करीब 6 महीने बाद पुनः संस्थान आने पर संस्थान में रहकर निःशुल्क सिलाई प्रशिक्षण सीखा भी लिया। जिंदगी भी वापस पटरी पर लौटी ही थी कि 15 फरवरी को पत्नी के हृदयघात से उसका भी साथ छूट गया।

वे बताते हैं कि अब बूढ़े माँ-बाप व स्वयं के गुजारे के लिए संस्थान में लिए प्रशिक्षण से स्वरोजगार कर शेष जिन्दगी को हौसले से आगे बढ़ाऊंगा।