शिवम के जीवन में
खुशियों के रंग

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शिवम को मिला नवजीवन

पहली संतान के रूप में बेटे के जन्म से शिवकुमार-मीनू देवी एवं परिजन बेहद खुश थे। लेकिन यह खुशी अगले ही पल मर्मान्तक दुःख में बदल गई। नवजात पोलियो का शिकार था। दोनों पांव कमजोर और घुटने से मुड़े हुए थे। घरवालों ने जो इद्रंधनुषी सपने सजाए थे, सारे बिखर गए यह व्यथा-कथा लखनऊ निवासी शिवम वाल्मीकि की है जो जन्म के बाद से ही पिछले 20 सालों से संघर्षपूर्ण जीवन बीता रहा है। बढ़ती उम्र और दिव्यांगता के कारण जमीन पर घिसट-घिसट कर चलने को मजबूर शिवम को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। अपनी स्थिति और ओरों को चलते-खेलते देख बहुत तकलीफ होती थी कि भगवान ने उसे ऐसा क्यों बनाया? उसकी स्थिति को देख माता-पिता भी रो पड़ते थे।

 

उन्होंने उपचार हेतु मुंबई और आस-पास के कई अस्पतालों, वैद्य-हकीमों आदि के पास भी बहुत इलाज करवाया परन्तु निराशा ही हाथ लगी। उपचार के दौरान 2019 में एक दानदाता से नारायण सेवा संस्थान के निःशुल्क पोलियो सुधार ऑपरेशन के बारे में जानकारी मिली। जो पूरे जीवन को बदलने वाली साबित हुई। संस्थान आने पर नवम्बर 2019 में दोनों पैरों की जांच के बाद सफल ऑपरेशन हुआ। करीब दो साल के उपचार बाद बैसाखी के सहारे उन्हें एक नई जिन्दगी मिली। अब आराम से चल अपने सारे काम कर लेते हैं। करीब एक साल बाद दोनों पैरों में कैलिपर्स पहनाए गए। जिससे वे बिना किसी सहारे के चलने में समर्थ हो पाए। आत्मनिर्भर बनने की सोच के साथ शिवम जनवरी 2023 में पुनः संस्थान आए और निःशुल्क कम्प्यूटर प्रशिक्षण में प्रवेश ले अपने सपनों को साकार करने में जुट गए हैं।

 

वे कहते है कि माता-पिता और भाइयों का हर कदम पर सहयोग मिला। कभी-भी हीन भावना का शिकार नहीं बनने दिया। इसी हौसले और संस्थान के निःशुल्क उपचार ने मुझे अपने पैरों पर खड़ा होने और कुछ करने लायक बनाया है।