सतेन्द्र कुमार | सफलता की कहानियाँ | निःशुल्क नारायण कौशल विकास केंद्र

व्हीलचेयर से बैशाखी पर लौटी जिन्दगी
21 साल बाद पोलियों के अभिशाप से मिलेंगी मुक्ति

Start Chat


सफलता की कहानी : सतेन्द्र कुमार

 

आठ साल की उम्र में पोलियो का शिकार होने से स्थिति बहुत खराब हो गई | कुछ समय बाद से ही दोनों पैरों और कमर में बहुत कमजोरी आने से कमर में दर्द और पैर की नश ब्लॉक होने से चलने – फिरने में परेशानी होने लगी, चलना – फिरना बंद हो गया | यह दास्ता उत्तर प्रदेश लखीमपुर खीरी जिले के गाँव खेरी निवासी राम नरेश के बेटे सतेन्द्र कुमार की है |

पिता राम नरेश और माता निर्मला देवी मजदूरी कर तीन भाइयों और चार बहनों का गुजारा चला रहे थे की बेटे की इस स्थिति से परिवार टूट सा गया, न जाने किसकी नज़र लगी सारी खुशिया ही छीन- भीन्न हो गई | दिव्यांगता के दुःख और उपचार की तलाश करते – करते आठ से दस साल निकल गए परन्तु कही से भी संतोषजनक जवाब नहीं मिला | घर पर और साधु संतो के पास भी बहुत गए झाड़ू फुकना और मालिश जो लोगों ने बोले वो- वो किया पर कुछ फर्क नहीं हुआ |
परिवार की माली हालत खराब होने से प्राइवेट अस्पताल में इलाज करवाना भी सम्भव नहीं था | फिर किसी के द्वारा राजस्थान के उदयपुर जिले में स्थित नारायण सेवा संस्थान के बारे में बताया की दिव्यांग के निःशुल्क पोलियो ऑपरेशन होते है | फिर टीवी पर भी प्रोग्राम देखा तो सीधे 2012 में सम्पर्क कर संस्थान आये | यहां आने के बाद जाँच कर दो साल बाद आने की तारीख दी | फिर जून 2014 में संस्थान आये और दोनों पैरों का बारी – बारी से ऑपरेशन हुआ | उपचार दो साल तक चला जिसमे चार से पांच बार विजिंग और एक्ससाईज भी कराई गई | विजिंग के बाद विशेष केलिपर्स और जूते तैयार कर पहनाये गए |

माता – पिता का कहना है की पहले से अब स्वस्थ, ठीक होने और अपने पैरों पर केलिपर्स के सहारे खड़े होते, चलते – फिरते देख हमारी ख़ुशीयों का कोई ठिकाना ही नहीं रहा परिवार में रूठी खुशियाँ फिर से लौट आई | स्वस्थ होने के बाद मोबाईल रिपेयरिंग का कोर्स सीख कर अब खुद की छोटी सी दुकान चला कर परिवार के भरण – पोषण और खर्च चलाने में मदद भी करता है | सब कुछ ठीक होते ही शादी भी हो गई और अभी एक दो साल का बच्चा है | सतेंद्र बताते है की अभी वर्तमान में पैरों में दर्द होने और केलिपर्स जो टूट गए थे, उनको बदलवाने हेतु 18 जुलाई 2022 को पुनः संस्थान आया | यहां डॉक्टर साहब द्वारा जाँच कर दवाइयां दी गई, साथ ही 21 जुलाई को बैसाखी और दोनों पैरों में विशेष केलिपर्स और जूते तैयार कर पहनाये गए |

अब में आराम से दुकान जा सकूंगा, यहाँ मेरा निःशुल्क ऑपरेशन और उपचार हुआ | मुझे नया जीवन प्रदान किया, में संस्थान परिवार का जीतना धन्यवाद और आभार व्यक्त करू उतना कम है |