रमेश | सफलता की कहानियाँ | निःशुल्क नारायण कृत्रिम अंग वितरण

हादसे से रुकी जिंदगी
फिर से जाग उठी

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सफलता की कहानी : रमेश

 

रमेश नासिक महाराष्ट्र में अपनी राशन की दुकान चलाता था। रमेश बताते हैं की मैं अपने बच्चों और पत्नी सहित 6 सदस्यों के परिवार में रह रहा था। मैं रोजाना सुबह 6 बजे से रात 8 बजे तक अपनी दुकान खोलता हूं। और एक हफ्ते या 1 महीने में दुकान का सामान खत्म हो जाने पर मैं अपनी मोटरसाइकिल (बाइक) से बाजार जाता हूं और राशन का सामान लाता हूं। इसी तरह मेरी गृहस्थी अच्छी चल रही थी कि अचानक एक हादसे ने पूरे परिवार को परेशान कर दिया।

माह जनवरी 2022 में दुकान का सामान पूरा होने पर राशन सामग्री की सूची तैयार की और मैं अपनी बाइक लेकर दुकान से निकल गया। मैं नासिक के बाजार पहुंचने ही वाला था कि अचानक सामने से तेज गति से एक कार आई और मुझे टक्कर मार दी। इस हादसे में कार का टायर बाएं पैर के ऊपर से गुजर गया। पैर पूरी तरह से पीछे हट गया था और शरीर पर भी कई चोट के निशान थे.फिर गांव वालों की मदद से मुझे तुरंत अस्पताल ले जाया गया जहां इलाज चला. जब मुझे होश आया तो मुझे पता चला कि मेरा एक पैर ही नहीं है और इससे मुझे बहुत सदमा लगा. एक पैर कट जाने से परिवार पर संकट आ गया। परिवार आर्थिक तंगी से जूझने लगा।

फिर 1 महीने बाद दोस्तों और रिश्तेदारों से जानकारी मिली कि उदयपुर में नारायण सेवा संस्थान है, जो दिव्यांगों का इलाज करता है और कृत्रिम अंग लगाता है। फिर मैं सोशल मीडिया नंबर पर संपर्क कर 29 मई 2022 को संस्थान आया। उसी दिन डॉक्टर ने जांच की और पैरों का माप लिया। फिर 1 जून, 2022 को मुझे कृत्रिम पैर लगाया गया और चलने के लिए प्रशिक्षित किया गया।

अब मैं बहुत आराम से चल पाता हूं और उम्मीद करता हूं कि जल्द ही अपनी दुकान पर जाऊंगा और काम करूंगा। संस्थान परिवार को बहुत धन्यवाद और आभार जिन्होंने मेरे जीवन को नया रूप दिया!