लौटी राधा की रूठी खुशियां

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सफलता की कहानी: राधा

जन्मजात पोलियो का शिकार होने के कारण दोनों पांवों के पंजों में टेढ़ापन और पीछे की ओर मुड़े होने से चलने-फिरने में बहुत परेशानी होने लगी। दुःख की यह दासता फर्रुखाबाद (उ.प्र) जिले के दीपपुर नगरिया, सिकंदरपुर खास निवासी तीन भाई-बहिनों में राधा सबसे बड़ी है। जन्म से ही पोलियोग्रस्त होने से चलने-फिरने में असमर्थ थी। पिता रामपाल कश्यप व माता लीशा बेटी की यह दशा देख बेहद चिंतित थे। उन्होंने आगरा के एक प्राइवेट अस्पताल में 40-50 हजार रूपये खर्च कर ऑपरेशन भी करवाया । लेकिन स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ। पिता खेतों में मजदूरी कर पांच सदस्यीय परिवार का गुजारा बड़ी मुश्किल से चला रहे हैं। दिव्यांग बेटी की बढ़ती उम्र के साथ उसकी अक्षमता उनके लिए दिनों दिन परेशानी बढ़ा रहीं थी। स्कूल आने-जाने, सहेलियों के साथ खेलने,दैनिक कार्यों को करने में परेशानी के साथ राधा हीन भावना के कारण अवसाद में भी रहने लगी थी।
सितम्बर 2023 के बाद उसके उदास चेहरे पर तब खुशियां लौर्ट आइं जब पिता रामपाल गाँव के एक व्यक्ति की सलाह पर बेटी को लेकर 25 सितम्बर 2023 को नारायण सेवा संस्थान, उदयपुर आए। जहां चिकित्सकों ने 28 सितम्बर को दांए पांव व 19 नवम्बर 2023 को बांए पांव का ऑपरेशन किया। दोनों पैरों के सफल ऑपरेशन के पश्चात चिकित्सकों द्वारा विशेष जूते पहनाए। करीब 9 माह के सफल चिकित्सा प्रयासों के बाद राधा के जीवन में खुशियों ने दस्तक दी। उसके जीवन से अंधियारा मिट चुका था।
अब बिना किसी सहारे वह आराम से चलती है। उसको चलते-फिरते देख माता-पिता के आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े। पूरा परिवार बहुत प्रसन्न है।