पुनीत की गाड़ी पुनः पटरी पर

Start Chat

‘22 दिसंबर 2022 का वह दिन मैं भूलना चाहता हूँ पर भूल नहीं पाता। इस दिन ठंड के चलते सड़क पर धुंध थी और मैं ट्रक को बहुत सावधानी से आगे बढ़ा रहा था कि अचानक ट्रक का अगला टायर फट गया। ट्रक असंतुलित हो गया, आगे थोड़ी ही दूर पर जा रहे ट्रक से भिड़ने की आशंका से मैं सिहर उठा, बावजूद इसके ट्रक को संभाला और उसे डिवाइडर से भिड़ा दिया। बहुत बड़ा हादसा तो टल गया, लेकिन मैं गंभीर रूप से जख्मी हो गया। उपचार के दौरान दायां पांव खोना पड़ा। शरीर पर अन्य चोटें तो कुछ दिनों में ठीक हो गई लेकिन पांव खोने का मुझे आज भी अफसोस है।’

यह करुण कहानी कर्नाटक के ट्रक चालक पुनीत कुमार की है। उन्होंने बताया कि इलाज में काफी वक्त और पैसा लग गया। रोजगार भी छिन गया। वे अब ट्रक चला नहीं सकते थे। रोजगार के लिए आना-जाना भी मुश्किल था। परिवार पर जीविकोपार्जन का संकट आ गया।
एक दिन सोशल मीडिया पर नारायण सेवा संस्थान की निःशुल्क कृत्रिम अंग बनाने और देने की जानकारी मिलने पर वे फरवरी 2024 में उदयपुर में आए। यहां उनके पांव का माप लेकर कृत्रिम पांव बनाकर पहनाया गया। अभी आराम से उठते-बैठते और चलते हैं। रोजगार की समस्या को भी संस्थान ने हल कर दिया। वे कौशल विकास केंद्र में मोबाइल रिपेयरिंग का तीन माह प्रशिक्षण पूरा करने वाले हैं। वे कहते हैं कि अब भले ही में ट्रक न चला सकूं किन्तु जीवन की गाड़ी के पटरी पर लौटने से बहुत खुश हूँ।