बादल | सफलता की कहानियाँ | निःशुल्क नारायण कृत्रिम अंग वितरण

थमी जिन्दगी को मिली गति
बादल कृत्रिम पांव पहन खेलने लगा फुटबाॅल

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सफलता की कहानी : बादल

 

(उ.प्र) कुशीनगर जिले की कप्तानगंज तहसील के छोटे से गाॅव पचार में आॅटो चलाकर 6 सदस्यीय परिवार का गुजारा चलाने वाले गरीब मनोज सहानी का छोटा बेटा बादल 14 वर्षीय 9 नवम्बर 2020 को अपने घर के दरवाजे पर खड़ा था कि तभी अचानक तेज रफ्तार अनियंत्रित चार पहिया बाॅलेरो घर के दरवाजे पे आ भिड़ी। इस दुर्घटना में बादल बूरी तरह से जख्मी हो गया। तत्काल ही परिजनोें ने नजदिकी अस्पताल में भर्ती करवाया। जहां पर बादल की गंभीर हालत को देखते हुए डाॅक्टरांे ने कुशीनगर जिले के बड़े अस्पताल रेफ्र किया। उपचार के दौरान बादल का बांए पांव काटना पड़ा व दांया पांव में स्टील की राॅड़ लगाई गई। पलभर में हंस्ती-खेलती जिन्दगी स्टील की राॅड़ लगे पांव पर आ गई। परिवार की आर्थिक स्थिति पहले से ही खराब तो थी ही अब बेटे के उपचार में लिए कर्ज से परिवार आर्थिक संकटों से घिर गया। इस दुर्घटना के बाद बादल का दोस्तों के साथ खेलना-कूदना, स्कूल जाना छूट गया। बेटे की दशा देख माता-पिता के पास आँसू बहाने के सिवाए अब कोई रास्ता नहीं रहा।

इसी बीच अमर उजाला व महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद से नारायण सेवा संस्थान की मिली जानकारी बादल की थमी जिन्दगी को गति देने वाली साबित हुई। 30 सितम्बर 2022 को गोरखपुर शिविर में बांए पांव का माप लिया गया। इसी के एक माह बाद पुनः 29 अक्टूम्बर को संस्थान का शिविर लगा, जिसमें संस्थान ने बादल को विशेष कृत्रिम पांव पहना चलने-फिरने की ट्रेनिग दी। अब बादल बीना किसी सहारे बीना रूके आराम से चलता और दोस्तों के साथ खेलता है।

माता-पिता बताते है कि जिसकी हमें कभी कल्पना भी नहीं की थी। संस्थान ने बेटे को विशेष कृत्रिम पांव के सहारे खड़ा कर दिया। अब यह पढ़- लिखकर फिर से अपने सपनों को पूरा करेगा। संस्थान का बारम्बार धन्यवाद।