खड़ी हुई घिसटती ज़िदगी

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सफलता की कहानी: अनिल

 

प्रयागराज (उप्र) के 24 वर्षीय अनिल जन्मजात पोलियो ग्रस्त थे। पिता हरिप्रसाद-गुलाबकली को बेटे की दिव्यांगता से बहुत आघात पहुंचा। वे कहते हैं कि खुशी आई भी तो अगले ही पल काफूर भी हो गई। अनिल की बढ़ती उम्र और दिव्यांगता  उसे दिन-ब-दिन हीनभावनाओं का शिकार बनाती रही। माता-पिता ने बहुत उपचार करवाया लेकिन हर तरफ से निराशा ही हाथ लगी। हालात ने परिवार के हौसलों को भी तोड़ दिया।

इसी दौरान वर्ष 2015 में आस्था चैनल के माध्यम से उन्हें नारायण सेवा संस्थान के निःशुल्क पोलियो उपचार एवं सेवाकार्यों की मिली जानकारी अनिल को नई जिन्दगी देने वाली साबित हुई। उदयपुर आने पर संस्थान के विशेषज्ञ डॉक्टर्स ने जांच कर दोनों पैरों का सफल ऑपरेशन किया। ऑपरेशन के बाद घिसटती-रेंगती जिन्दगी दोनों पांवों पर खड़ी हो चलने लगी।

अनिल बताते हैं कि जन्म से ही दोनों पैरों में कैची बानी रहती थी जिससे चलना तो दूर ठीक से खड़ा भी नहीं हो पाता था। लेकिन अब मैं अपने पैरों पर खड़ा हो चलने भी लगा हूँ। परिजन संस्थान परिवार का धन्यवाद करते हुए कहते हैं कि संस्थान ने अनिल को नवम्बर 2023 में निःशुल्क मोबाईल रिपेयरिंग प्रशिक्षण दे आत्मनिर्भर भी बनाया है। अब वह परिवार का आर्थिक सम्बल भी बनेगा।