23 May 2024

संस्थान के प्रयासों से लौट आई राधा की रूठी खुशियां 

आज से 11 वर्ष पहले उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद के दीपपुर नगरिया के सिकंदरपुर खास में रहने वाले रामपाल कश्यप और लीलाबाई के घर में लक्ष्मी का आगमन हुआ। सभी घर वालों ने नवजात बेटी का स्वागत किया और उसका नाम रखा राधा। घर में बेटी का जन्म होने से सभी खुश थे। सभी ने बेटी के जन्म पर एक दूसरे को शुभकामनाएं दी। लेकिन ये शुभकामनायें जल्द ही तब दु:ख में बदल गईं जब घरवालों को पता लगा कि उनकी नवजात बेटी जन्म से ही पोलियोग्रस्त है।

 

राधा के जीवन में संघर्ष की कहानी

जन्म के कुछ माह के बाद ही राधा के घरवालों के देखा कि उसके दोनों पैर पीछे की तरफ मुड़े हैं। यह जन्मजात पोलियोग्रस्त होने की निशानी थी। फिर क्या था, राधा के गरीब माता-पिता ने कई अस्पतालों में उसका उपचार कराया। लेकिन नन्ही बेटी को कोई आराम नहीं लगा। धीरे-धीरे बेटी बड़ी होने लगी। लेकिन वह अपने पैरों पर खड़े होकर ठीक से चल पाने में असमर्थ थी। दोनों पैरों के पंजों में टेढ़ापन और पीछे की ओर मुड़े होने के कारण उसे चलने-फिरने में बहुत ज्यादा परेशानी होने लगी। 

दु:ख की यह अवस्था देखने के बाद एक बार फिर से राधा के माता-पिता ने उसका उपचार करवाने का निर्णय लिया। लेकिन यह फैसला उनके लिए आसान नहीं था। क्योंकि राधा के पिता रामपाल खेतों में मजदूरी करते थे और बड़ी मुश्किल से अपने परिवार का भरण पोषण कर पाते थे। फिर भी वो अपनी बेटी को एक निजी अस्पताल में ले गए जहां उनकी बेटी के पैरों का ऑपरेशन किया गया। इस इलाज में उनके 40-50 हजार रुपये खर्च हो गए; इसके बावजूद बेटी के पैरों में कोई सुधार देखने को नहीं मिला।  

दिव्यांग बेटी की बढ़ती उम्र के साथ उसकी अक्षमता रामपाल को परेशान कर रही थी। वो सोंच नहीं पा रहे थे कि ऐसा क्या किया जाए ताकि उनकी बेटी अपने पैरों पर ठीक से खड़ी होकर अन्य बच्चों की तरह चल फिर सके। अन्य बच्चों की तरह खेल सके, स्कूल जा सके। बेटी के दु:ख से परेशान माता-पिता को उसकी भविष्य की चिंताओं ने घेर लिया। जिससे परिवार में दु:ख, दर्द, चिंताओं और आंसुओं ने डेरा डाल दिया। 

 

इस तरह से राधा के जीवन में आया बदलाव 

साल 2023 में सितंबर का महीना राधा के जीवन में नया बदलाव लेकर आया। पिता रामपाल को किसी सज्जन व्यक्ति ने राधा को उदयपुर स्थित नारायण सेवा संस्थान में दिखाने की सलाह दी। उन्होंने रामपाल से नारायण सेवा संस्थान में उपलबद्ध करवाई जा रही नि:शुल्क उच्चस्तरीय सेवाओं के बारे में बताया। यह सुनते ही रामपाल 25 सितंबर 2023 को अपनी बेटी को लेकर उदयपुर स्थित नारायण सेवा संस्थान पहुंच गए। 

संस्थान में अनुभवी चिकित्सकों की टीम ने राधा के पैरों की गहन जांच की और उसके बाद 28 सितंबर को पहले पैर की तथा 19 नवंबर को दूसरे पैर की सुधारात्मक सर्जरी की। दोनों पैरों के सफल ऑपरेशन के बाद चिकित्सकों ने राधिका को विशेष रूप से तैयार किए गए जूते पहनाए। लगभग नौ माह के सफल उपचार के बाद राधा के जीवन में खुशियों की रोशनी लौटी। 

 

बिना किसी सहारे के चलने फिरने में सक्षम हुई राधा

अब राधा अन्य बच्चों की तरह बिना किसी सहारे के सीधे खड़ी हो सकती है और आसानी से चल फिर सकती है। राधा को चलते-फिरते देखकर उसके माता-पिता की आँखों में खुशी के आँसू छलक पड़े। राधा के पिता ने कहा, “नारायण सेवा संस्थान ने न केवल मेरे बेटी को उसके पैरों पर खड़ा किया है बल्कि जीने का हौसला भी दिया है।”