एक साल में कुल 24 एकादशियां होती हैं। इनमें से मोक्षदा एकादशी इस साल की आखिरी एकादशी होगी। जो 22 दिसम्बर को पड़ रही है। मोक्षदा एकादशी को बैकुंठ एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। सनातन परंपरा में एकादशी के दिन भगवान विष्णु की आराधना करने का महत्व है। कहा जाता है कि इस दिन व्रत रखने से और स्नान-दान करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है। मोक्षदा एकदशी पर कुछ कार्यों को करने से सलाह दी जाती है जबकि कुछ कार्यों को करने के लिए मना किया जाता है।
मोक्षदा एकादशी के दिन सुबह उठें और प्रातःकाल में स्नान करें। इसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करके भगवान विष्णु की पूजा करें। घर में लगे हुए तुलसी के पौधे को जल अर्पित करें और परिक्रमा करें। व्रत रखें और पारण करें। दिन के समय भगवान का ध्यान करें और भगवान विष्णु को समर्पित भजन-कीर्तन करें। अपनी श्रद्धा के अनुसार दीन, दु:खी और असहाय लोगों को अन्न, भोजन और गर्म वस्त्र आदि दान करें।
मोक्षदा एकादशी पर कुछ कार्यों को करने के लिए मना किया गया है। कहा जाता है कि बैकुंठ एकादशी पर चावल का सेवन नहीं करना चाहिए। साथ ही इस दिन बाल नहीं काटना चाहिए। इस दिन सुबह जल्दी उठ जाएं। जो भी लोग व्रत करने के इच्छुक हो उन्हें देर रात तक नहीं सोना चाहिए। मोक्षदा एकादशी पर क्रोध करने से बचना चाहिए। साथ ही चोरी और हिंसा से बचना चाहिए। एकादशी के दिन किसी भी पेड़ की पत्तियां या फूल नहीं तोड़ना चाहिए।
हर एकादशी की तरह मोक्षदा एकादशी भी भगवान विष्णु के लिए समर्पित मानी जाती है। मोक्षदा एकादशी का व्रत रखने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। मान्यता के अनुसार, मोक्षदा एकादशी पर ही भगवान विष्णु ने कुरुक्षेत्र के मैदान पर अर्जुन को श्रीमद्भगवद्गीता का उपदेश दिया था। इसलिए मोक्षदा एकादशेी के दिन गीता जयंती भी मनाई जाती है। मान्यताओं के अनुसार, बैकुंठ एकादशी पर गीता पाठ करना चाहिए। इससे पुण्य फल की प्राप्ति होती है।