जल्द ही अयोध्या में रामलला के मंदिर का उद्घाटन होने जा रहा है। इसके बाद भगवान राम की पूजा-पाठ प्रारंभ हो जाएगी और भक्त लोग नवनिर्मित मंदिर में आसानी से रामलला के दर्शन कर सकेंगे। भगवान राम त्रेता युग में जन्में थे। जिनका उल्लेख भारत की कथा कहानियों के साथ ही कालजयी महाकाव्य रामायण में मिलता है। इस महाकाव्य के नायक भगवान श्री राम न केवल एक दिव्य व्यक्ति के रूप में बल्कि धार्मिकता, सदाचार और कुलीनता के प्रतीक के रूप में भी पूजनीय हैं। उनका जीवन धरती पर रह रहे हर एक व्यक्ति के लिए आदर्श है। उनकी व्यक्तिगत और आध्यात्मिक यात्राएं हमेशा लोगों का मार्गदर्शन करती रहती हैं। अगर हम भी भगवान राम के चरित्र से शिक्षा लेकर उनका अनुसरण करें तो हमारा जीवन बेहद आसान हो सकता है। भगवान राम के चरित्र से हमें निम्न बातें सीखनी चाहिए।
धर्म और कर्तव्य
भगवान श्री राम धर्म या कर्तव्य की अवधारणा का प्रतीक हैं। विपरीत परिस्थितियों में भी उन्होंने धार्मिकता के प्रति अपनी अटूट प्रतिभा का परिचय दिया है। समकालीन दुनिया में भगवान राम का जीवन नैतिक मूल्यों को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण शिक्षा देता है।
माता-पिता का सम्मान
भगवान राम को अपने माता पिता का सम्मान करने के लिए जाना जाता है। भगवान राम अयोध्या के राजा दशरथ के सबसे बड़े पुत्र थे। इसके बावजूद पिता का आदेश मिलने पर उन्होंने राजगद्दी का मोह नहीं किया। बिना कोई क्षण गंवाए उन्होंने अयोध्या नगरी का त्याग कर दिया और राजपाट छोड़कर 14 वर्ष के वनवास चले गए। भगवान राम का यह चरित्र हमें अपने माता-पिता की हमारे जीवन में अमूल्य भूमिका को पहचानते हुए उनका सम्मान करने और उनकी देखभाल करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
प्रतिकूल परिस्थितियों में लचीलापन
भगवान राम ने जीवन की प्रतिकूल परिस्थियों में हमेशा लचीलेपन और संयम को प्रदर्शित किया है। वनवास के दौरान उन्हें अनेकों कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। लेकिन कभी भी उन्होंने अपना धैर्य नहीं खोया। हमारे जीवन में भी हमें कई बार असफलताओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे में हमें भगवान राम का अनुशरण करते हुए शांत और संयमित आचरण वाला व्यवहार करना चाहिए। इससे हम जीवन में आने वाले तूफानों से आसानी से निपट सकते हैं।
धैर्यशीलता का पाठ
भगवान राम धैर्य के एक शानदार उदाहरण हैं । उन्होंने अपनी जिंदगी में कभी भी धैर्य नहीं खोया। जब मां कैकयी ने श्रीराम को वनवास जाने का आदेश दिया था तब उन्होंने इस आदेश को अनुग्रहपूर्वक धैर्य के साथ स्वीकार कर लिया था। जिस प्रकार भगवान राम ने धैर्य का परिचय दिया था, उस प्रकार हर व्यक्ति को जीवन में धैर्यपूर्वक रहना चाहिए।
निष्ठा और भक्ति
भगवान राम के भीतर निष्ठा और भक्ति भी देखने को मिलती है। उनका मां सीता के साथ रिश्ता निष्ठा और भक्ति का प्रतीक है। आज के युग में, जहां रिश्तों की परीक्षा विभिन्न चुनौतियों से होती है; इन गुणों को अपने भीतर आत्मसात करने से संबंधों की नींव और भी ज्यादा मजबूत हो सकती है।
अच्छा भाई और मित्र
भगवान श्री राम एक आदर्श बेटा और पति होने के साथ ही एक आदर्श भाई भी थे। उन्होंने सदैव अपने भाई को अपने साथ रखा। साथ ही अगर मित्रता की बात करें तो भगवान राम की सुग्रीव और विभीषण के साथ मित्रता अतुलनीय है। भगवान राम ने अपने मित्रों के साथ एक आदर्श मित्र का उदाहरण पेश किया है।