नवरात्रि एक सनातनी त्यौहार है, जो धर्म प्रेमियों द्वारा बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है, यह त्यौहार जगत जननी माँ दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा का प्रतीक है। यह पर्व साल में 4 बार आता है। चैत्र नवरात्रि, शारदीय नवरात्रि और 2 बार गुप्त नवरात्रि के रूप में हम सभी इस पर्व को मनाते है। जल्द ही शारदीय नवरात्रि शुरू होने जा रही है। जगत जननी माँ दुर्गा को समर्पित यह पर्व हर्षोल्लास, नृत्य और उत्सव का प्रतीक है।
नवरात्रि का त्यौहार गहरी भक्ति और आध्यात्मिकता के लिए जाना जाता है, यह भक्तों को माँ से जुड़ने का अवसर प्रदान करता है। नवरात्रि के दौरान सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठानों में से एक ‘घट’ की स्थापना है, जो कि मां दुर्गा की उपस्थिति का प्रतीक है। इस लेख में हम जानेंगे कि नवरात्रि के दौरान घट स्थापना का क्या महत्व है और इसे श्रद्धापूर्वक कैसे किया जाता है।
घट का महत्व
‘घट’ जल से भरे एक बर्तन को बोला जाता है, इसे कलश भी बोला जाता है। जिसे आम के पत्तों और फूलों से सजाया जाता है। यह देवी दुर्गा की दिव्य ऊर्जा का प्रतीक है, और माना जाता है कि इसकी स्थापना से घर में उनकी उपस्थिति का आह्वान होता है। इसलिए घट नवरात्रि के दौरान पूजा का केंद्र बिंदु माना जाता है।
इन प्रमुख कारणों की वजह से नवरात्रि के दौरान घट स्थापित करना अत्याधिक शुभ माना जाता है:
भक्ति का प्रतीक: घट माँ दुर्गा के प्रति भक्तों की भक्ति का प्रतीक है। घट को तैयार करने और स्थापित करने का कार्य देवी माँ को एक हार्दिक भेंट है।
आशीर्वाद का स्रोत: ऐसा माना जाता है कि नवरात्रि के दौरान घट का पवित्र जल माँ दुर्गा की दिव्य ऊर्जा से युक्त हो जाता है। घट की पूजा करना माँ का आशीर्वाद और सुरक्षा पाने का एक तरीका है।
शुद्धि: कलश स्थापना घर और उसमें रहने वालों की शुद्धि का भी प्रतीक है। यह आध्यात्मिक और भौतिक वातावरण को शुद्ध करने का एक तरीका है।
आध्यात्मिक संबंध: घट भक्त और परमात्मा के बीच एक सेतु का काम करता है। यह एक गहरे आध्यात्मिक संबंध को सक्षम बनाता है और साधक को अधिक ध्यान और ईमानदारी के साथ पूजा करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
नवरात्रि में घट स्थापना कैसे करें
नवरात्रि की पूजा में घट की स्थापना करने के पहले आवश्यक सामग्री जैसे- पीतल या मिट्टी का बना हुआ कलश, गंगा जल, कलावा, इत्र, सुपारी, सात प्रकार का अनाज, मिट्टी, आम के पत्ते, अक्षत, नारियल, लाल कपड़ा, गेंदे के फूल और दूर्वा घास जैसी चीजों को एकत्र कर लें। इसके बाद कलश की स्थापना करना शुरू करें।
कलश की स्थापना करने लिए सबसे पहले कलश या घट को स्वच्छ कर लें। उसके बाद उसमें 7 प्रकार के अनाज डालकर मिट्टी डालें और कलश पर कलावा बांधें। उसके बाद कलश को पानी या गंगाजल से भर दें। जल में सुपारी, अक्षत और सिक्का डालकर कलश के किनारे पर 5 आम के पत्ते लगायें। इसके बाद नारियल के ऊपर लाल कपड़ा बांधकर उसे कलश के ऊपर रख दें। यह कलश या घट नवरात्रि के 9 दिनों तक मातारानी की प्रतिमा या तस्वीर के सामने रखें।
नवरात्रि के दौरान घट स्थापना एक पवित्र परंपरा है जो भक्तों को माँ दुर्गा की दिव्य ऊर्जा से जोड़ती है। यह माँ का आशीर्वाद मांगने और घर के भीतर आध्यात्मिक रूप से उत्साहित माहौल बनाने के लिए स्थापित किया जाता है। नवरात्रि के दौरान माँ के साथ-साथ कलश की पूजा पूरी ईमानदारी से करना चाहिए। इससे भक्तों के ऊपर माँ की कृपा बनी रहती है।