21 February 2024

पाये सभी पापों से मुक्ति
माघ पूर्णिमा 2024: महत्व, तिथि, व्रत कथा, पूजा अनुष्ठान और जानिए दान का महत्व

माघ पूर्णिमा तिथि

सनातन परंपरा में माघ पूर्णिमा बेहद महत्वपूर्ण त्यौहार है। जो इस बार 24 फरवरी 2024 को मनाया जाएगा। इस दिन स्नान, दान और जप को फलदायी बताया गया है। माघ पूर्णिमा के दिन तीर्थराज प्रयागराज में संगम तट पर स्नान करना बेहद पुण्यदायी माना जाता है। यह पूर्णिमा माघ मास के आखिरी दिन मनाई जाती है। माघ पूर्णिमा को देश के कई हिस्सों में माघी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भोजन, वस्त्र और गौ दान का काफी महत्व माना जाता है। 

 

माघ पूर्णिमा का महत्व

माघ पूर्णिमा मघा नक्षत्र में मनाई जाती है। कहा जाता है कि इस दिन देवता पृथ्वी पर आते हैं और मनुष्य रूप धारण करके प्रयागराज में स्नान, दान और जप करते हैं। इसलिए इस दिन प्रयागराज में गंगा नदी में डुबकी लगाने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यदि आप स्नान करने के लिए प्रयागराज नहीं जा पा रहे हैं तो घर में ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। कहा जाता है कि माघ पूर्णिमा पर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने से घोर से घोर पाप नष्ट हो जाते हैं और यज्ञ कराने के बराबर पुण्य फल की प्राप्ति होती है। 

 

माघ पूर्णिमा पूजा विधि और व्रत कथा

माघ पूर्णिमा स्नान, दान, हवन, व्रत और जाप के लिए जानी जाती है। इसलिए पूर्णिमा के दिन प्रातः काल स्नान करना चाहिए। इसके बाद भगवान सूर्य को जल अर्पित करें। उसके उपरांत स्वच्छ वस्त्र धारण करके व्रत का संकल्प लें। पूजा घर में लकड़ी का पाटा लेकर उसमें पीला कपड़ा बिछाएं। इसके बाद पाटे पर भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद भगवान को पीले पुष्प, धूप, अक्षत, कपूर आदि अर्पित करके उनकी पूजा करें। पीले लड्डुओं का भोग लगाएं। विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र का पाठ करें। हवन करें और रात के समय भगवान विष्णु के नाम का जप करें।

 

माघ पूर्णिमा पर रखे इन बातों का ध्यान 

  • पूर्णिमा के दिन झूठ बोलने से बचें और सात्विक भोजन ग्रहण करें। 
  • यदि आप व्रत रखने का संकल्प ले रहे हैं तो सूर्योदय के पहले ही स्नान करके व्रत का संकल्प ले लें। 
  • माघ पूर्णिमा के दिन भद्रा काल में स्नान न करें। 

 

माघ मेला और कल्पवास 

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में संगम के तट पर माघ माह में हर साल मेला लगता है। जिसे माघ मेला के नाम से जाना जाता है। इस मेले में देश विदेश से श्रद्धालु भाग लेने के लिए आते हैं। संगम तट के किनारे स्नान-दान के साथ धार्मिक कार्य करने की क्रिया को कल्पवासकहा जाता है। इसकी परंपरा सदियों से चली आ रही है। कल्पवास का समापन माघ पूर्णिमा पर स्नान के साथ ही हो जाता है। कल्पवास में भक्त लोग वेद और पुराणों का अध्ययन करते हैं और स्नान, हवन आदि करने के बाद ब्राह्मणों और निर्धन लोगों को भक्तिभाव से भोजन कराते हैं। 

 

दान का महत्व 

हिन्दू धर्म में दान बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। कहा जाता है कि किसी जरुरतमंद को दान देने से दानदाता को सुख चैन की प्राप्ति होती है साथ ही दानदाता के घर में कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होती है। माघ पूर्णिमा पर काले तिल से हवन करने के बाद पितरों को काले तिल का भोग लगाना चाहिए। गरीब और जरुरतमंद लोगों को भोजन कराना चाहिए साथ ही उन्हें वस्त्र, अन्न, लड्डू, गुड़, घी, फल, अनाज का दान करना चाहिए। 

 

माघ पूर्णिमा पर करें इन चीजों का दान 

 

अन्न और भोजन दान:

माघ पूर्णिमा के पुण्यकारी अवसर पर अन्न और भोजन दान करना बेहद कल्याणकारी माना जाता है। इसलिए पूजा के पश्चात ब्राह्मणों, निर्धन बच्चों को पूरे मन के साथ भोजन कराएं। पूर्णिमा के इस पुण्यकारी अवसर पर नारायण सेवा संस्थान असहाय, दिव्यांग बच्चों को भोजन कराने जा रहा है। आप भी दिव्यांग बच्चों को भोजन कराने में सहयोग करें और पुण्य के भागी बनें।

वस्त्र और शिक्षा दान

: पूर्णिमा के शुभ अवसर पर वस्त्र और शिक्षा दान विशेष महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसे में आप माघ पूर्णिमा के शुभ दिन पर निर्धन बच्चों को शिक्षा से संबंधित सामग्री जैसे- कॉपी, किताब, पेंसिल, पेन, स्कूली बैग इत्यादि वितरित करें। साथ ही यदि हो सके तो इस दिन किसी निर्धन बच्चे शिक्षित करने के लिए संकल्प लें। पूर्णिमा के के शुभकारी अवसर पर नारायण सेवा संस्थान के वस्त्र दान और शिक्षा दान करने के आंदोलन में सहयोग करके पुण्य के भागी बनें।