मौकिम शेख पश्चिम बंगाल के बांकुड़ा जिले के रहने वाले हैं। बिजली विभाग में लाइनमैन का काम करते हुए उन्होंने अपनी मेहनत और ईमानदारी से जीवनयापन किया। हर दिन की तरह, उस दिन भी मौकिम अपनी ड्यूटी पर थे। वे बिजली के खंबे पर चढ़कर तारों की मरम्मत कर रहे थे, जब अचानक बिजली का खंबा टूटकर नीचे गिर गया। इस भयानक दुर्घटना में उनका पैर खंबे में दबकर कट गया। इस हादसे ने मौकिम की जिंदगी को पूरी तरह से बदल दिया।
संघर्षपूर्ण जीवन की शुरुआत
पैर न रहने के कारण मौकिम की जिंदगी बेहद संघर्षपूर्ण हो गई। हादसे के बाद कंपनी ने उन्हें बाहर कर दिया, जिससे उनका रोजगार छूट गया। घर में उनकी पत्नी और बच्चा था, जिन्हें पालने की जिम्मेदारी अब भी मौकिम के कंधों पर थी। आर्थिक तंगी ने उनका जीना दुश्वार कर दिया। घर में आटा-पानी सब खत्म हो गया और मौकिम तथा उनके परिवार के लिए दो वक्त की रोटी जुटाना भी मुश्किल हो गया। यह स्थिति उनके लिए मानसिक और शारीरिक दोनों रूपों से बेहद कष्टदायक थी।
एक नई उम्मीद की किरण
कुछ दिनों बाद, एक परिचित ने उन्हें कोलकाता में नारायण सेवा संस्थान के शिविर के बारे में बताया। मौकिम ने इस जानकारी को एक नई उम्मीद की तरह लिया और शिविर में जाने का फैसला किया। शिविर में पहुंचने पर संस्थान के साधकों ने उनके पैर का माप लिया और उन्हें नि:शुल्क कृत्रिम अंग प्रदान किया। अनुभवी डॉक्टरों की टीम ने उन्हें चलने-फिरने सहित हर प्रकार की ट्रेनिंग दी। यह अनुभव उनके लिए जीवन को नई दिशा देने वाला साबित हुआ।
आत्मनिर्भरता की ओर कदम
कृत्रिम अंग मिलने के बाद, मौकिम ने अपने जीवन को फिर से संवारना शुरू किया। अब वे आसानी से चलने लगे थे और अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में सक्रिय रूप से भाग लेते थे। उन्होंने सोचा कि अपने परिवार को चलाने के लिए उन्हें कोई काम करना चाहिए। अपनी मेहनत और हौसले के दम पर उन्होंने एक बैट्री रिक्शा खरीदा। अब वे इस रिक्शे के जरिए अपनी आजीविका चला रहे हैं। उनके इस निर्णय ने उनके परिवार को फिर से स्थिरता दी है। अब मौकिम अपने परिवार के लिए दो जून की रोटी कमा पा रहे हैं और उन्हें खाने के लिए पर्याप्त खाना और घर चलाने के लिए पैसा मिल रहा है।
आभार और कृतज्ञता
मौकिम शेख और उनकी पत्नी इस नेक काम के लिए नारायण सेवा संस्थान को धन्यवाद दिया है। उनकी कृतज्ञता उन सभी डॉक्टरों और साधकों के प्रति है जिन्होंने मौकिम को एक नई जिंदगी दी। मौकिम की कहानी न केवल उनके साहस और संघर्ष की कहानी है, बल्कि यह उन सभी के लिए प्रेरणा है जो जीवन में कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं।
मौकिम शेख ने दिखाया कि अगर हमारे पास हिम्मत और जज़्बा हो, तो हम किसी भी चुनौती को पार कर सकते हैं। नारायण सेवा संस्थान के प्रयास और समर्थन ने मौकिम की जिंदगी को नई दिशा दी और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।