भारत के समृद्ध सांस्कृतिक इतिहास में नव संवत्सर का विशेष स्थान है। यह केवल एक नए वर्ष का आरंभ नहीं, बल्कि सृष्टि की उत्पत्ति, धर्म, आस्था और संस्कृति का संगम है।
सनातन संस्कृति में नवरात्रि को विशेष रूप से दिव्य और शक्तिशाली उत्सव माना गया है। यह केवल एक पर्व नहीं, बल्कि शक्ति, साधना और भक्ति का अनुपम संगम है। चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक मनाए जाने वाले चैत्र नवरात्रि में भक्त श्रद्धा और समर्पण के साथ माँ दुर्गा के विभिन्न रूपों की उपासना करते हैं।
सनातन धर्म में अमावस्या का विशेष महत्व है। हर महीने पड़ने वाली अमावस्या तिथि न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होती है, बल्कि पितरों की शांति, दान-पुण्य और आत्मशुद्धि का भी यह उत्तम अवसर मानी जाती है।