21 March 2024

Falgun Purnima 2024 : फाल्गुन पूर्णिमा कब है? जानें सही डेट, शुभ मुहूर्त, महत्व, पूजा विधि और कथा

फाल्गुन पूर्णिमा 2024 

फाल्गुन पूर्णिमा को होलिका पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। यह एक प्रमुख तिथि है जो आम तौर पर फरवरी या मार्च में मनाई जाती है। फाल्गुन पूर्णिमा का यह दिन भगवान विष्णु और माँ लक्ष्मी को समर्पित है। इसलिए इस दिन पर श्री हरि और  मां लक्ष्मी की पूजा-व्रत करने का विधान है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, पूर्णिमा के दिन पूजा-अर्चना करने से इंसान के जीवन में आ रही परेशानियों से छुटकारा मिलता है। साथ ही पुण्य फल प्राप्त होता है। 

 

फाल्गुन पूर्णिमा का महत्व

सनातन परंपरा के धर्म शास्त्रों में फाल्गुन पूर्णिमा को स्नान-दान, पूजा-पाठ इत्यादि करने वाले दिन के रूप में उल्लेखित किया है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु की आराधना करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में आ रही सभी बाधाएं स्वतः ही दूर हो जाती हैं। साथ ही इस दिन माँ लक्ष्मी की पूजा करने से जीवन में आ रही आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं और सुख समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। 

 

इस दिन मनाई जाएगी फाल्गुन पूर्णिमा

 हिंदू पंचांग अनुसार इस बार की फाल्गुन पूर्णिमा 24 मार्च 2024 को रविवार के दिन मनाई जाएगी। इसका शुभ मुहूर्त सुबह 9 बजकर 54 मिनट पर शुरू होगा जो अगले दिन 25 मार्च 2024 को सोमवार के दिन दोपहर 12 बजकर 29 मिनट पर समाप्त होगा।

 

फाल्गुन पूर्णिमा की पूजा विधि 

फाल्गुन पूर्णिमा स्नान, दान, हवन, व्रत और होलिका दहन के लिए जानी जाती है। इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठें और स्नान करके उगते हुए सूर्य को जल का अर्घ्य दें। इसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करके भगवान विष्णु की पूजा की तैयारी करें। पूजा करने के लिए भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर को चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर स्थापित करें। इसके भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा करें। भगवान को रंग, गुलाल, पीले पुष्प, धूप, अक्षत, कपूर आदि अर्पित करें। अंत में पीले लड्डुओं का भोग लगाकर भगवान की आरती करें और उनसे सुखमय जीवन के आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करें। 

 

फाल्गुन पूर्णिमा पर रखें इन चीजों का ध्यान 

  • पूर्णिमा के दिन सात्विक भोजन करें और झूठ बोलने से बचें। 
  • इस दिन किसी से लड़ाई झगड़ा न करें, होलिका दहन के अवसर पर सभी के साथ आत्मीयता से मिलें। 

 

फाल्गुन पूर्णिमा की कथा  

फाल्गुन पूर्णिमा के दिन ही होलिका दहन किया जाता है इसलिए होलिका दहन की कथा को ही फाल्गुन पूर्णिमा की कथा माना जाता है। 

नारद पुराण में बताया गया है कि हिरण्यकश्यप नाम का एक राक्षस था; जो खुद को ईश्वर से भी बड़ा मानता था। इसलिए उसने सभी को उसकी ही पूजा करने का आदेश दे डाला था। लेकिन उसका खुद का पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था। हिरण्यकश्यप को ये बात बिल्कुल पसंद नहीं थी इसलिए उसने कई बार अपने पुत्र को भगवान विष्णु की आराधना करने से मना किया। उसके कई बार कहने के के बावजूद प्रह्लाद ने भगवान विष्णु की भक्ति बंद नहीं की।

जब हिरण्यकश्यप अपने पुत्र से कह कहकर थक गया और पुत्र ने भगवान विष्णु की पूजा बंद नहीं की; तब उसने प्रह्लाद मारने की योजना बना ली। लेकिन हिरण्यकश्यप को इसमें भी निराशा ही हाथ लगी। बार-बार प्रह्लाद भगवान विष्णु की कृपा से बच जाता। इसके बाद हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका से मदद मांगी। होलिका को वरदान प्राप्त था कि उसको अग्नि कभी जला नहीं सकेगी। हिरण्यकश्यप के कहे अनुसार फाल्गुन पूर्णिमा के दिन होलिका प्रह्लाद को गोद में बैठाकर आग में बैठ गई। लेकिन जैसे ही उसने प्रह्लाद हो आग में मारने का प्रयत्न किया वैसे ही उसका वरदान निष्फल हो गया और उस अग्नि में होलिका जलकर खाक हो गई जबकि भक्त प्रह्लाद भगवान विष्णु के सकुशल बच गया। 

 

प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

 

प्रश्न : इस बार फाल्गुन पूर्णिमा कब मनाई जाएगी?

उत्तर: साल 2024 में फाल्गुन पूर्णिमा 24 मार्च को मनाई जाएगी। 

 

प्रश्न : फाल्गुन पूर्णिमा की कथा का उल्लेख किस पुराण में मिलता है?

उत्तर:  फाल्गुन पूर्णिमा की कथा का उल्लेख नारद पुराण में मिलता है। 

 

प्रश्न : फाल्गुन पूर्णिमा किस त्यौहार कजे साथ मनाई जाती है?

उत्तर: फाल्गुन पूर्णिमा होली के साथ, होलिका दहन के दिन मनाई जाती है।

 

प्रश्न : पूर्णिमा के दिन क्या दान करना चाहिए?

उत्तर: इस दिन आप अपने सामर्थ्य के अनुसार किसी मंदिर में या गरीबों को अन्न का दान कर सकते हैं।