08 March 2024

Falgun Amavasya 2024: कब है फाल्गुन अमावस्या? जानिए पूजा विधि, पितृ पूजन, स्नान-दान और इस दिन का महत्व

फाल्गुन अमावस्या महत्व (Falgun Amavasya Importance)

सनातन परंपरा में सभी तिथियों का विशेष महत्व होता है। फाल्गुन माह के कृष्ण की पक्ष की अमावस्या तिथि को फाल्गुनी अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इस तिथि को पितरों के लिए समर्पित माना गया है इसलिए इस दिन पितरों के निमित्त विशेष पूजा की जाती है। इस अमावस्या को पितरों को प्रसन्न करने के लिए और पितृ दोष से छुटकारा पाने के लिए जाना जाता है। फाल्गुन अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने के साथ ही दान का बड़ा महत्व है। कहा जाता है कि फाल्गुन अमावस्या के पुण्यकारी दिन पर दीन-हीन, असहाय लोगों को दान देने से पितर प्रसन्न होते हैं और साधक को सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

 

फाल्गुन अमावस्या पर करें ये काम (Do this work on Falgun Amavasya)

इस दिन सुबह प्रातः काल में उठकर पवित्र नदी या कुंड में स्नान करें। अगर आप पवित्र नदी में नहीं जा पाते हैं तो घर के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। इसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें और सूर्य भगवान को अर्घ्य दें। फाल्गुन अमावस्या पर भगवान सूर्य को जल से अर्घ्य देने पर घर की दरिद्रता दूर होती है। 

यदि आप हर अमावस्या पर पितरों की पूजा नहीं कर पाते हैं, तो फाल्गुन अमावस्या पर अपने पितरों के निमित्त श्राद्ध कर्म कर सकते हैं। श्राद्ध कर्म के लिए फाल्गुन अमावस्या तिथि को बेहद शुभ माना गया है। 

 

दान का महत्व (Importance of Donation)

सनातन परंपरा में दान करना बेहद शुभ माना जाता है। साथ ही कहा जाता है कि यदि साधक दीन-हीन, असहाय लोगों के लिए दान करता है तो उसका धन कभी नहीं घटता, साथ ही उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। तुलसीदास जी ने दान का महत्व बताते हुए रामचरितमानस में लिखा है-

 

तुलसी पंछी के पिये घटे न सरिता नीर। 

दान दिये धन ना घटे जो सहाय रघुवीर।।

 

अर्थात् जिस तरह से पक्षियों के पानी पीने से नदी का जल कम नहीं होता, उसी तरह से यदि भगवान आपके साथ हैं तो जरूरतमंदों को दान देने से कभी भी धन की कमी नहीं होगी। 

 

फाल्गुन अमावस्या पर करें इन चीजों का दान (Donate on Falgun Amavasya)

 

अन्न और भोजन दान:

हिन्दू धर्म में अन्न और भोजन दान दान सबसे अधिक पवित्र माना जाता है। कहा जाता है कि अमावस्या के दिन ब्राह्मणों तथा दीन-हीन, असहाय लोगों को भोजन कराने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। साथ ही इस दिन भोजन दान से पितरों की आत्मा तृप्त होती है और उन्हें शांति मिलती है। इसके साथ ही भोजन कराने वाले साधक के ऊपर मां अन्नपूर्णा की कृपा सदैव बनी रहती है। फाल्गुन अमावस्या के पुण्यकारी अवसर पर दीन, दु:खी और दिव्यांग बच्चों को भोजन कराने हेतु नारायण सेवा संस्थान का सहयोग करें और पुण्य के भागी बनें। 

 

वस्त्र और शिक्षा दान:

पौराणिक कथाओं में अमावस्या पर वस्त्र दान का भी बड़ा महत्व बताया गया है। कहा जाता है कि अमावस्या के दिन वस्त्रों का दान करना चाहिए; साथ ही इस दिन निर्धन बच्चों को शिक्षित करने के लिए कॉपी, किताब, पेंसिल, पेन, स्कूली बैग इत्यादि वितरित करना चाहिए। यदि आप सामर्थ्यवान हैं तो इस दिन किसी निर्धन बच्चे को शिक्षित करने के लिए उसका पूरा खर्चा उठाने के संकल्प लें। फाल्गुन अमावस्या के पुण्यदायी अवसर पर नारायण सेवा संस्थान के वस्त्र दान और शिक्षा दान करने के आंदोलन में सहयोग करके भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त करें।