कुछ सपने जन्म से ही बिखर जाते हैं, कुछ हादसों की भेंट चढ़ जाते हैं। लेकिन जीवन वहीं नहीं रुकता—आशा बनी रहे, तो हर अंधेरा छंट सकता है। नारायण सेवा संस्थान पिछले चार दशकों से उन्हीं जिंदगियों में उजाला भरने का कार्य कर रहा है, जिनका भविष्य अपंगता की बेड़ियों में कैद हो गया था।
जो दिव्यांगजन दुर्घटनाओं, बीमारियों या अन्य अप्रत्याशित घटनाओं के कारण अपने अंग खो चुके हैं, उन्हें उन्नत कार्यशालाओं और अनुभवी प्रोस्थेटिक्स व ऑर्थोटिक्स इंजीनियरों की मेहनत से संस्थान निःशुल्क अत्याधुनिक मॉड्यूलर कृत्रिम नारायण लिंब प्रदान कर रहा है। ये केवल उपकरण नहीं है, बल्कि नई जिंदगी की कुंजी है—एक ऐसा सहारा, जिससे दिव्यांगजन दोबारा अपने पैरों पर खड़े हो सकेंगे, आत्मनिर्भर बन सकेंगे और समाज में सम्मानपूर्वक जीवन जी सकेंगे।
दिल्ली में नई आशा की पहल
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में दुर्घटनाओं, मधुमेह और अन्य कारणों से बड़ी संख्या में लोगों ने अपने अंग गंवा दिए हैं। ऐसे लोगों को न केवल शारीरिक तकलीफों का सामना करना पड़ता है, बल्कि समाज की उपेक्षा और मानसिक पीड़ा भी झेलनी पड़ती है। इस तकलीफ को कम करने के लिए नारायण सेवा संस्थान दिल्ली में एक विशेष निःशुल्क कृत्रिम अंग वितरण शिविर आयोजित कर रहा है, ताकि जरूरतमंदों को सहारा मिल सके और वे जीवन में एक नई शुरुआत कर सकें।
संस्थान द्वारा हाल ही में, 16 फरवरी 2025 को रोहिणी, दिल्ली में “दिव्यांग जांच – चयन एवं नारायण लिंब व कैलिपर माप शिविर” का आयोजन किया गया। इस शिविर में दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों से 563 दिव्यांगजन पहुंचे। 367 लोगों को कृत्रिम अंग वितरण के लिए चुना गया। अब, आगामी शिविर में उन्हें निःशुल्क कृत्रिम अंग प्रदान किए जाएंगे, जिससे वे आत्मनिर्भर जीवन की ओर बढ़ सकें।
मानवता की सेवा में सहयोग करें
यह सेवा यात्रा सिर्फ संस्थान की नहीं, बल्कि हम सबकी है। आपके सहयोग से उन लोगों की ज़िंदगी बदल सकती है, जो वर्षों से चलने, दौड़ने और अपने सपनों को पूरा करने की उम्मीद लगाए बैठे हैं।
आइए, एक कदम बढ़ाएं और इन जरूरतमंद दिव्यांगजनों को उनके पैरों पर खड़ा होने का मौका दें।
कृपया दान दें और इस पुण्यदायी कार्य में सहभागी बनें।
10,000 रुपये का दान दिव्यांगों को उनके पैरों पर चलाने में मदद करेगा।