आपके दान से ब्राह्मणों व जरूरतमंदों को भोजन मिलेगा।
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Narayan Seva Sansthan - ज्येष्ठ अमावस्या

ज्येष्ठ अमावस्या पर दीन-हीन, असहाय, दिव्यांग बच्चों को भोजन कराने में सहयोग करें

ज्येष्ठ अमावस्या

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ज्येष्ठ अमावस्या हिंदू धर्म में एक अत्यंत पुण्यदायी और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण तिथि मानी जाती है। यह दिन विशेष रूप से पितरों के तर्पण, आत्मचिंतन और सेवा-दान के लिए समर्पित होता है। अमावस्या तिथि पर किए गए सत्कर्म, जैसे स्नान, ध्यान, जप, दान और श्राद्ध कर्म, कई गुना फलदायी होते हैं।

इस बार की ज्येष्ठ अमावस्या का विशेष महत्व है, क्योंकि यह सबसे गर्म मौसम में पड़ रही है, इन दिनों सूर्य अपने प्रचंड तेज में हैं। ऐसे समय में तप, सेवा और दान से आत्मा की शुद्धि होती है और पितरों की कृपा प्राप्त होती है। यह दिन विशेष रूप से उन आत्माओं की शांति के लिए उपयुक्त है, जिनका श्राद्ध विधिपूर्वक नहीं हो पाया है।

 

ज्येष्ठ अमावस्या का महत्व

यह दिन संयम, सेवा और तपस्या का प्रतीक है। इस दिन श्रद्धा से किए गए कर्म; जैसे मौन धारण, गंगा स्नान, पितरों का तर्पण, और जरूरतमंदों की सेवा; मन और आत्मा को पवित्र बनाते हैं। शास्त्रों में वर्णित है कि इस दिन किया गया दान घर-परिवार में सुख, शांति और समृद्धि का मार्ग खोलता है।

 

सनातन धर्म में अमावस्या के दिन दान का बड़ा महत्व बताया गया है। श्रीमद्भगवद्गीता में दान का उल्लेख करते हुए कहा गया है-

 

दातव्यमिति यद्दानं दीयतेऽनुपकारिणे।

देशे काले च पात्रे च तद्दानं सात्त्विकं स्मृतम्।।

अर्थात, जो दान बिना किसी स्वार्थ के, उचित समय पर और योग्य पात्र को दिया जाए, वही सात्त्विक दान कहलाता है।

 

दिव्यांग बच्चों और जरूरतमंदों को कराएं भोजन

यह दिन असहाय, दीन-दुखियों, दिव्यांगों और जरूरतमंदों को भोजन कराना पितरों की आत्मा की शांति और ईश्वर की कृपा प्राप्त करने का माध्यम है। ज्येष्ठ अमावस्या के पावन अवसर पर नारायण सेवा संस्थान के दीन-हीन, असहाय, दिव्यांग बच्चों को आजीवन भोजन (वर्ष में एक दिन) कराने के सेवा प्रकल्प में सहयोग करके पुण्य के भागी बनें। 

ज्येष्ठ अमावस्या

आपके द्वारा दिए गए दान से दिव्यांग बच्चों को भोजन कराया जाएगा

आपके द्वारा दिए गए दान से दीन-हीन, असहाय, दिव्यांग बच्चों को भोजन कराया जाएगा

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