फिजियोथेरेपी एक महत्वपूर्ण चिकित्सा प्रणाली है। यह दिव्यांग लोगों के जीवन में एक क्रांतिकारी परिवर्तन लाती है। लोगों के भीतर दिव्यांगताऐं विभिन्न रूपों में प्रकट हो सकती हैं, जो व्यक्तियों को शारीरिक, मानसिक या दोनों तरह से प्रभावित कर सकती हैं। दिव्यांग लोगों के लिए फिजियोथेरेपी का प्राथमिक लक्ष्य उनकी कार्यात्मक क्षमताओं को बढ़ाना और उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाना है। फिजियोथेरेपी के द्वारा दिव्यांग लोगों में निम्नलिखित सुधार किए जा सकते हैं-
गतिशीलता बहाल करना
दिव्यांग लोगों के सामने जो सबसे बड़ी चुनौती है, वह है उनका सही से चल फिर न पाना। यह दिक्कत जन्मजात, चोट या बढ़ती बीमारी के कारण भी हो सकती है। चलने फिरने संबंधी समस्या व्यक्ति के जीवन पर गहरा प्रभाव डाल सकती है। इन समस्याओं का समाधान प्राप्त करने के लिए फिजियोथेरेपी एक महत्वपूर्ण चिकित्सा प्रणाली है।
व्यायाम और गतिशीलता कार्यक्रम तैयार करने के लिए फिजियोथेरेपिस्ट अपने रोगियों के साथ मिलकर काम करते हैं। इन कार्यक्रमों में व्यक्तियों को उनकी मांसपेशियों और जोड़ों में ताकत और लचीलेपन को फिर से हासिल करने में मदद करने के लिए स्ट्रेचिंग, शक्ति प्रशिक्षण और रेंज-ऑफ-मोशन अभ्यास कराया जाता है। फिजियोथेरेपिस्ट कृत्रिम उपकरणों और प्रशिक्षण के द्वारा मरीजों को गतिशीलता प्रदान करने में सहायता करते हैं।
फिजियोथेरेपिस्टों के लगतार प्रयासों के कारण दिव्यांग लोग बेहद आसानी से गतिशीलता प्राप्त कर सकते हैं। वे रोजमर्रा के काम करने में सक्षम हो सकते हैं, जैसे चलना-फिरना, बिस्तर से उठना और सीढ़ियां चढ़ना या उतरना इत्यादि। इससे उन्हें जिंदगी में अधिक स्वतंत्रता प्राप्त होती है।
दर्द प्रबंधन
दर्द अक्सर दिव्यांग लोगों का साथी होता है। यह किसी व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता को काफी हद तक प्रभावित कर सकता है। फिजियोथेरेपी दिव्यांग लोगों के दर्द प्रबंधन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। विभिन्न तकनीकों जैसे मैनुअल थेरेपी, चिकित्सीय अभ्यास, गर्म या ठंडी चिकित्सा जैसे तौर-तरीकों के माध्यम से फिजियोथेरेपिस्ट रोगियों को उनके दर्द को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने में मदद कर सकते हैं। दर्द के स्रोत का पता लगाकर और दिनचर्या में सुधार करके फिजियोथेरेपी लोगों की दवाओं पर निर्भरता को कम कर सकती है।
कार्यक्षमता बढ़ाना
दिव्यांगता किसी व्यक्ति की कार्यक्षमता को सीमित कर सकती है। फिजियोथेरेपी दिव्यांगता से जुड़ी चुनौतियों का समाधान करके कार्यक्षमता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करती है। उदाहरण के लिए स्ट्रोक, मल्टीपल स्केलेरोसिस या सेरेब्रल पाल्सी जैसी न्यूरोलॉजिकल बीमारियों वाले व्यक्तियों को चलने फिरने में कठिनाई हो सकती है। फिजियोथेरेपी इन चीजों को लक्षित करके विशेष तकनीकों और अभ्यासों के द्वारा दिव्यांगता से निपटने का काम करती है।
इसके अलावा, फिजियोथेरेपी श्वसन क्रिया और हृदय स्वास्थ्य में सुधार कर सकती है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि दिव्यांग व्यक्ति कम थकान और प्रयास के साथ रोजमर्रा की गतिविधियों को पूरा कर सके।
जटिलताओं को रोकना
दिव्यांग लोगों को उनकी सीमित गतिशीलता के कारण स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इन समस्याओं में मांसपेशी संकुचन मुख्य समस्या है। फिजियोथेरेपिस्ट व्यायाम के द्वारा इन जटिलताओं को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं जो लंबे समय तक गतिहीनता से जुड़े जोखिम कारकों को कम करते हैं।
मनोवैज्ञानिक कल्याण को बढ़ावा देना
फिजियोथेरेपी का प्रभाव विकलांग व्यक्तियों के मनोवैज्ञानिक कल्याण के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है। दिव्यांगता से निपटना भावनात्मक रूप से चुनौतीपूर्ण हो सकता है, इसमें फिजियोथेरेपिस्ट एक प्रेरक के रूप में काम करते हैं। फिजियोथेरेपी के द्वारा दिव्यांग लोगों को भावनात्मक समर्थन प्राप्त होता है और प्रोत्साहन मिलता है।
जीवन की गुणवत्ता बढ़ाना
फिजियोथेरेपी विकलांग लोगों के जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसके कारण लोग एक अच्छी जिंदगी प्राप्त कर सकते हैं साथ ही उनकी गतिशीलता और कार्यक्षमता में वृद्धि होती है। फिजियोथेरेपी दिव्यांग व्यक्तियों को स्वतंत्र जीवन जीने के लिए सशक्त बनाती है। देखा गया है कि जैसे-जैसे फिजियोथेरेपी का क्षेत्र आगे बढ़ रहा है, विकलांग लोगों के लिए संभावनाएं बेहतर होती जा रही हैं।
फिजियोथेरेपी के प्रति नारायण सेवा संस्थान की प्रतिबद्धता
उदयपुर स्थित नारायण सेवा संस्थान फिजियोथेरेपी के महत्व को समझता है। पूरे भारत में संस्थान के 23 फिजियोथेरेपी केंद्र कार्य कर रहे हैं। जहां लोगों को फिजियोथेरेपी चिकित्सा उपलब्ध करवाई जा रही है। संस्थान के द्वारा फिजियोथेरेपी की सुविधा उपलब्ध करवाना अनगिनत व्यक्तियों के लिए आशा की किरण है। जहां उनकी परेशानी का निदान किया जाता है।