09 September 2024

Bhadrapada Purnima 2024: भाद्रपद पूर्णिमा की तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और दान का महत्व

भाद्रपद पूर्णिमा हिन्दू पंचांग में आने वाला एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। जो भाद्रपद मास के शुल्क पक्ष के अंतिम दिन मनाया जाता है। यह दिन धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन से ही श्राद्ध पक्ष का शुभारंभ होता है इसलिए सनातन धर्मावलंबियों के लिए यह पूर्णिमा बेहद महत्वपूर्ण हो जाती है।

 

भाद्रपद पूर्णिमा 2024 तिथि और शुभ मुहूर्त

भाद्रपद पूर्णिमा 2024 की शुरुआत 17 सितंबर 2024 को रात्रि 11 बजकर 46 मिनट से होगी। जिसका समापन अगले दिन 18 सितंबर 2024 को रात्रि 8 बजकर 6 मिनट पर होगा। हिन्दू धर्म में उदयातिथि की मान्यता है ऐसे में भाद्रपद पूर्णिमा 18 सितंबर 2024 को मनाई जाएगी।

 

भाद्रपद पूर्णिमा से पितृ पक्ष की शुरुआत

भाद्रपद पूर्णिमा के दिन पितृ पक्ष का शुभारंभ होता है। यह हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसमें पूर्वजों को श्रद्धांजलि दी जाती है। इस दिन पितरों को तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध कर्म करने का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इन कर्मकांडों से पितृगण प्रसन्न होते हैं और परिवार पर उनकी कृपा बनी रहती है। पितृ पक्ष के दौरान दान-पुण्य करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। माना जाता है कि पूर्णिमा के दिन गंगा या अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने से साधक के सभी पाप धुल जाते हैं और उसे पुण्य फलों की प्राप्ति होती है।

 

भाद्रपद पूर्णिमा पर माता लक्ष्मी की पूजा-उपासना का महत्व

भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष को मनाई जाने वाली भाद्रपद पूर्णिमा, भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित मानी जाती है। इस दिन व्रत रखने तथा दीन-दु:खी, निर्धन लोगों को दान देने से मन की शांति, पापों का नाश और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

 

दान का महत्व

सनातन परंपरा में दान देना पूजा और उपासना का अभिन्न अंग माना जाता है। दान देने की परंपरा अनादिकाल से चली आ रही है। इसलिए धार्मिक ग्रंथों एवं शास्त्रों में दान को मानव जीवन के अनिवार्य पहलुओं में शामिल किया गया है। अगर पौराणिक ग्रंथों को देखा जाए तो हिन्दू धर्म के विभिन्न ग्रंथों के श्लोकों में दान के महत्व का विस्तार से उल्लेख मिलता है। किंतु दान की महिमा तभी होती है जब वह नि:स्वार्थ भाव से ऐसे व्यक्ति को दिया जाए, जिसे उसकी सबसे ज्यादा जरूरत है। अगर कुछ पाने की लालसा में दान दिया जाता है तो वह अपना पूर्ण प्रभाव नहीं छोड़ पाता और उसका पुण्य भी साधक को पूरी तरह से नहीं मिलता है।

 

आपके द्वारा दिया गया दान अनेक हाथों से लौटकर आपके पास ही आता है। आपके द्वारा किए गए दान का फल इस जन्म में ही नहीं अपितु मृत्यु के बाद भी मिलता है। इसलिए किसी भी त्यौहार या शुभ समय पर पात्र व्यक्तियों को नि:स्वार्थ भाव से पूरे मन के साथ श्रद्धापूर्वक दान करें। गरुड़ पुराण में भगवान विष्णु द्वारा दान के महत्व को विस्तार से बताया गया है।

 

दान के महत्व का उल्लेख करते हुए पौराणिक ग्रंथों में कहा गया है-

 

अल्पमपि क्षितौ क्षिप्तं वटबीजं प्रवर्धते ।

जलयोगात् यथा दानात् पुण्यवृक्षोऽपि वर्धते ॥

जमीन पर डाला हुआ छोटा सा वटवृक्ष का बीज, जैसे जल के योग से बढ़ता है, वैसे पुण्य रूपी
वृक्ष भी दान से बढ़ता है।

 

भाद्रपद पूर्णिमा पर करें इन चीजों का दान

भाद्रपद पूर्णिमा पर दान का बड़ा महत्व माना जाता है। कहा जाता है कि इस पुण्यकारी अवसर पर अन्न और भोजन का दान सर्वोत्तम है। भाद्रपद मास की पूर्णिमा के पुण्यकारी अवसर पर नारायण सेवा संस्थान के दीन-हीन, निर्धन, दिव्यांग बच्चों को भोजन दान करने के प्रकल्प में सहयोग करके पुण्य के भागी बनें।

 

प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs):-

 

प्रश्न: भाद्रपद पूर्णिमा 2024 कब है?

उत्तर: भाद्रपद पूर्णिमा 18 सितंबर 2024 को मनाई जाएगी।

 

प्रश्न: भाद्रपद पूर्णिमा पर किन लोगों को दान देना चाहिए?

उत्तर: भाद्रपद पूर्णिमा पर ब्राह्मणों तथा दीन-हीन, असहाय, निर्धन लोगों को दान देना चाहिए।

 

प्रश्न: भाद्रपद पूर्णिमा के दिन किन चीजों का दान करना चाहिए?

उत्तर: भाद्रपद पूर्णिमा के शुभ अवसर पर अन्न, भोजन, फल आदि दान में देना चाहिए।