20 October 2023

विजयादशमी के दिन इस पौधे की पूजा करने होगा सभी कष्टों का निवारण

देश में इन दिनों नवरात्रि का त्यौहार चल रहा है। इस त्यौहार का समापन विजयादशमी के साथ हो जाएगा। विजयादशमी के दिन देवी अपराजिता के साथ कुछ और चीजों के पूजन का भी महत्व है। जिनसे भक्तों को विशेष लाभ प्राप्त होते हैं। 

 

इन चीज की पूजा करने से होता है कष्टों का निवारण

ज्योतिषाचार्य  बताते हैं कि विजयादशमी पर माँ दुर्गा की पूजा के साथ अपराजिता के पौधे की पूजा करनी चाहिए। अपराजिता के फूलों को माँ दुर्गा का स्वरूप माना जाता है। इसलिए विजयादशमी के दिन इस पौधे की पूजा करने विशेष महत्व होता है। कहा जाता है कि दशहरे पर अपराजिता के पौधे की पूजा करने से विशेष लाभ की प्राप्ति होती है। इस दिन शस्त्र पूजन का भी विधान है। इसलिए इस दिन शस्त्र पूजा भी की जाती है। 

 

भाग्य का होता है उदय 

पारिजात के फूल माँ दुर्गा के अलावा भगवान शिव को भी अर्पित किए जाते हैं। ज्योतिष शास्त्र में इन फूलों का विशेष महत्व बताया गया है। कहा जाता है कि विजयादशमी के दिन नहाते समय पानी में इन फूलों को डालकर नहाने से भाग्य का उदय होता है। यह क्रिया करने से  व्यक्ति को हमेशा अपने भाग्य का साथ मिलता हैं। 

 

नकारात्मक ऊर्जा होती है दूर 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, दशहरे के दिन पारिजात के फूलों को घर के ईशान कोण में किसी पानी भरे बर्तन में डालकर रख दें। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है और गृह-क्लेश जैसी समस्याओं से भी छुटकारा मिलता है।

 

आर्थिक तंगी से मिलती है राहत 

पारिजात के फूल आर्थिक तंगी से राहत दिलाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आर्थिक तंगी से पीछा छुड़ाने के लिए विजयादशमी के दिन घर में श्रीयंत्र स्थापित करें। उसके आस पास पारिजात के फूल रखें। इससे भक्तों को विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है और उन्हें आर्थिक तंगी से छुटकारा मिलता है। साथ ही भक्तों को माँ लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। 

 

घर पर लगाएं पारिजात का पेड़ 

पारिजात के पौधे से होने वाले लाभों को ध्यान में रखते हुए लोगों को अपने घरों में भी पारिजात का पौधा अवश्य लगाना चाहिए। इसे घर के आंगन में या गार्डन में कहीं भी लगाया जा सकता है। 

दहशरे के मौके पर विजयादशमी की पूजा के साथ पारिजात के पौधे और फूलों की पूजा करने से भक्तों के कष्टों का निवारण होता है और उन्हें मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। इसलिए इस मौके पर देवी-देवताओं के साथ-साथ के परिजात की पूजा भी अवश्य करना चाहिए।