02 February 2023

सामूहिक विवाह से समृद्ध होगा निर्धनों का जीवन।

शादी सभी के जीवन की नयी शुरुआत और दो व्यक्तियों के बीच एक सुंदर और पवित्र बंधन होता है। यह एक ऐसा महत्वपूर्ण अवसर है जो परिवारों, दोस्तों और समुदायों को एक साथ लाता है। परन्तु कई निर्धन, असहाय और शारीरिक रूप से अक्षम लोगों के लिए, शादी करने का सपना आर्थिक और शारीरिक सीमाओं के कारण पूरा नहीं हो पता है। वही कई लोगों को आर्थिक चुनौतियों के साथ सामाजिक बाधाएं और भेदभाव का भी सामना करना पड़ता है जिससे उनके लिए शादी के बंधन में बंधना मुश्किल हो जाता है। हालांकि, कई लोग और गैर-सरकारी संगठन निर्धनों और दिव्यांगों के लिए सामूहिक विवाह आयोजित करके उनके जीवन को बेहतर बनाने के लिए काम कर रहे हैं। ये सामूहिक विवाह न केवल इन अभावग्रस्त जोड़ों को उनके प्यार और प्रतिबद्धता को सम्मानित तरीके से मनाने का उत्सव हैं, बल्कि रूढ़िवादिता को चुनौती देने और इन असहाय जोड़ों को शादी करने से रोकने वाली बाधाओं को तोड़ने का एक तरीका भी हैं जो उन्हें शादी करने और समाज में शामिल होने के अपने अधिकारों को प्राप्त करने के लिए एक अवसर प्रदान करता है।

 

नारायण दिव्यांग विवाह

नारायण सेवा संस्थान 37 वर्षो से दिव्यांगों के उत्थान के लिए अपनी सेवाएं दे रही है जिसमें दिव्यांगों के विवाह की सेवा भी शामिल है। संस्थान दिव्यांगों का विवाह करवा उनका घर बसाने के लिए प्रत्येक वर्ष दिव्यांग सामूहिक विवाह का आयोजन करती है अब तक संस्थान द्वारा 38 विवाह करवाए जा चुके है जिसमें संस्थान अब तक 4402 लोगो के विवाह करवा चुकी है। संस्थान द्वारा आयोजित इस सामूहिक विवाह में सभी रीती रिवाजो और रस्मो के साथ धूम धाम से जोड़ो का परिणय मिलन करवाया जाता है। दिव्यांगों को शादी के लिए संस्थान में अपना पंजीकरण करवाना पड़ता है उसके पश्चात् संस्थान उनकी सभी जरूरतों और सुविधा को ध्यान में रखते हुए उन्हें निःशुल्क साधन उपलब्ध करवाती है और हल्दी, मेहंदी और संगीत जैसे सभी आयोजनों से लेकर वर- वधु की विदाई होने तक  हर्षोल्लास से उनका विवाह सम्पन्न करवाती है। संस्थान द्वारा अगला दिव्यांग सामूहिक विवाह 25 और 26 फरवरी 2023 को उदयपुर में होने जा रहा है जिसमें कुल 51 जोड़े शादी कर अपना जीवन बसायेंगे। दिव्यांगों के इस विवाह में अपना योगदान देकर आप भी अपनी नैतिक जिम्मेदारी निभाए और उनकी खुशियों में शामिल होने और उन्हें आशीर्वाद देने के लिए अवश्य पधारे। 

 

क्या होता है सामूहिक विवाह?

सामूहिक विवाह एक बड़े पैमाने पर होने वाला विवाह समारोह होता है जहां विवाह करने वाले सभी जोड़े एक साथ प्रतिज्ञा का आदान-प्रदान करते है और एक भव्य और औपचारिक तरीके से अपने चुने हुए साथी के साथ विवाह की सभी रसमो को निभाते हुए एक दूसरे के जीवनसाथी बन जाते है। यह न केवल इन जोड़ों के मिलन का जश्न मनाने का एक तरीका है बल्कि उन्हें सशक्त बनाने और उन्हें आर्थिक और सामाजिक रूप से समर्थन देने का भी एक तरीका है।

 

सामूहिक विवाह महत्व।

सामूहिक विवाह का उन गरीब और जरूरतमंद जोड़ों के जीवन में गहरा महत्व है जो शादी का खर्च उठाने में सक्षम नहीं होते। यह उन जोड़ों को एक पारंपरिक शादी के आर्थिक बोझ के बिना, सार्थक तरीके से अपने मिलन का जश्न मनाने का एक विशेष अवसर प्रदान करता है। यह आशा का प्रतीक है और विवाह और परिवार के महत्व की याद दिलाता है। सामूहिक विवाह समुदायो के एक साथ आने और उन जोड़ों के लिए अपना समर्थन दिखाने का एक तरीका है, जिससे उन्हें अपनेपन की भावना और सम्पन्न जीवन की प्राप्ति होती है। 

 

सामूहिक विवाह कौन करवाता है और ज़रूरी क्यों है?

आज भी हमारे देश में बहुत से गरीब परिवार ऐसे हैं जिन्हें इस महंगाई के दौर में अपने बेटों और बेटियों का विवाह करते समय बहुत ही आर्थिक कठिनाइयों से गुजरना पड़ता है। कुछ गरीब परिवार तो अपनी बच्चो के विवाह के लिए उधार लेने तक के लिए मजबूर हो जाते हैं और क़र्ज़ में डूब जाते है। गरीब परिवारों की इसी समस्या का समाधान करने के लिए समाज के सेवको द्वारा समाज हित में एक सार्थक सोच के साथ सामूहिक विवाह जैसे महत्वपूर्ण कदम उठाये जाते हैं। किसी कमजोर, जरूरतमंद या असहाय परिवार की कन्या का विवाह करानें से बढ़कर कोई अन्य पुनीत कार्य नहीं है। इसी सोच के चलते आज हर छोटे-बड़े जिलों, कस्बों या शहरों में  सरकार, गैर सरकारी संगठन, समाजसेवकों या संस्थाओं द्वारा कई निर्धन परिवारों के बच्चो का सामूहिक विवाह करवाया जा रहा हैं। ये संस्थाएं विवाह जैसे सामाजिक पुण्य कार्य में अपनी सराहनीय भूमिका निभाती हैं। सामूहिक विवाह आयोजन से समय की बर्बादी, दान-दहेज व फिजूलखर्ची जैसी कुरीतियों से भी समाज को मुक्ति मिल सकती है।