19 October 2023

संस्कृत भाषा में माता की इस तरह से आराधना करने से मिलता है मनवांछित फल

सनातन धर्म में संस्कृत भाषा का महत्व वैदिक काल से है। इसे देववाणी कहा जाता है। जिसका अर्थ है कि यह देवताओं के द्वारा प्रयोग की जाने वाली भाषा है। इस भाषा को देवनागरी लिपि में लिखा जाता है। विद्वानों द्वारा कहा गया है कि देवताओं की आराधना इसी भाषा में होनी चाहिए। इस भाषा में पाठ करना और सुनना बेहद लाभदायक होता है। 

 

नवरात्रि पर करें दुर्गा सप्तशती का पाठ

इन दिनों नवरात्रि का पर्व चल रहा है। इस पावन अवसर पर लोगों को माँ अम्बे की आराधना करना चाहिए। माँ सभी का कल्याण करने वाली हैं और अपने भक्तों को मनवांछित फल प्रदान करती हैं। भक्तगण अगर इस त्यौहार पर माँ को प्रसन्न करना चाहते हैं तो उन्हें दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए। यह माँ दुर्गा की आराधना के लिए सबसे अच्छा मार्ग है। दुर्गा सप्तशती का अर्थ होती है कि जिसमें 700 श्लोक हों। अर्थात इस पाठ में आपको 700 श्लोकों का पाठ करना होगा।

 

अश्वमेध यज्ञ के समान मिलता है फल 

दुर्गा सप्तशती का पाठ करने पर लोगों को अश्वमेध यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है। अगर आप दुर्गा सप्तशती का शुद्ध उच्चारण के साथ पाठ नहीं कर पा रहे हैं तो इस पाठ को किसी विद्वान पंडित से भी करवा सकते हैं। पाठ को संस्कृत भाषा में ही करना चाहिए। इससे भक्तों को मनवांछित फल की प्राप्ति होती है।

 

इस तरह से करें दुर्गा सप्तशती का पाठ

जो भी व्यक्ति पाठ करने वाला हो; वो स्नान करने के उपरांत आसन शुद्ध करके उस पर बैठ जाए। पाठ करने के लिए शुद्ध जल, पूजन सामग्री और दुर्गा सप्तशती की पुस्तक साथ रखे। इन सभी चीजों को सामने रखी लकड़ी की बनी चौकी पर रख दे। माथे पर अपनी पसंद के अनुसार चंदन अथवा रोली लगाये। इसके बाद पूर्वाभिमुख होकर दुर्गा सप्तशती का पाठ करे। 

 

दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय इन नियमों का रखें ध्यान 

दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय कुछ नियमों का पालन करना बेहद महत्वपूर्ण है। इन नियमों के पालन करने पर आपको पाठ का सम्पूर्ण लाभ प्राप्त होगा।

  • दुर्गा सप्तशती के पाठ की शुरुआत नवरात्रि के पहले दिन से करनी चाहिए।
  • पाठ करते समय लाल रंग के वस्त्र धारण करें। 
  • पूरी शांति के साथ बिना किसी से बातचीत किए पाठ पूर्ण करें।
  • पाठ के सभी अध्यायों को एक ही दिन में पूरा करें। अगर पाठ एक दिन में पूर्ण नहीं हो पाता है तो इसे नवरात्रि के 9 दिनों में पूरा किया जा सकता है।
  • नवरात्रि के 9 दिनों में तामसिक भोजन का सेवन न करें।
  • लयबद्ध तरीके से पाठ करें। पाठ करने में जल्दबाजी बिल्कुल भी न करें।