18 October 2023

जानें, क्यों लड़े जा रहे हैं विभिन्न देशों के बीच युद्ध?

रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद अब दुनिया में एक नए युद्ध का खतरा मंडरा रहा है। इस नए युद्ध का अखाड़ा खाड़ी देशों में बनने जा रहा है। जहां इजरायल, फिलीस्तीन के नियंत्रण वाली गाजा पट्टी में आतंकवादी समूह हमास के पूर्ण खात्मे के लिए युद्ध छेड़ने जा रहा है। रूस-यूक्रेन युद्ध की तरह इस युद्ध से भी लाखों लोग प्रभावित होने वाले हैं। गाजा पट्टी घनी आबादी वाला क्षेत्र है जहां छोटे से भूभाग में लगभग 20 लाख लोग रहते हैं। इनके जीवन पर युद्ध का नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलेगा। इसके पहले रूस-यूक्रेन युद्ध में भी लाखों लोग प्रभावित हुए हैं, जिन्हें विभिन्न देशों में शरण लेनी पड़ी है।

युद्ध विनाश का प्रतीक हैं। इन युद्धों में जान माल की भारी हानि होती है। इसके बावजूद देशों के बीच संघर्ष कम होने का नाम नहीं ले रहा है। इसके पीछे विभिन्न कारण जिम्मेदार हो सकते हैं-

क्षेत्रीय विवाद : संघर्षों का सबसे आम कारण सीमाओं या क्षेत्र का विवाद है। जब दो या दो से अधिक देश एक ही भूमि पर दावा करते हैं तो इससे सशस्त्र संघर्ष हो सकता है।

संसाधनों की कमी : तेल, पानी, खनिज, या कृषि योग्य भूमि जैसे मूल्यवान संसाधनों पर प्रतिस्पर्धा से संघर्ष हो सकता है।

राजनीतिक शक्ति और विचारधारा : राजनीतिक विचारधाराओं में अंतर, जैसे लोकतंत्र बनाम अधिनायकवाद संघर्ष का कारण बन सकते हैं। उदाहरण के लिए, शीत युद्ध संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ के बीच वैचारिक मतभेदों पर आधारित एक भूराजनीतिक संघर्ष था।

राष्ट्रवाद और जातीय तनाव : राष्ट्रवाद और जातीय पहचान युद्ध के लिए एक बड़ा कारण हो सकते हैं। संघर्ष तब भड़क सकते हैं जब विभिन्न जातीय या राष्ट्रीय समूह सीमाओं के भीतर या पार अपने प्रभुत्व का दावा करना चाहते हैं।

धार्मिक मतभेद : ऐतिहासिक रूप से, धार्मिक विवाद संघर्ष का एक महत्वपूर्ण कारण रहे हैं। धार्मिक मतभेद अक्सर राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक कारकों से जुड़े होते हैं। 

आर्थिक कारक : आर्थिक असमानताएं, व्यापार विवाद या आर्थिक प्रभुत्व के लिए प्रतिस्पर्धा भी संघर्ष का कारण बन सकती है। आर्थिक हित अक्सर राजनीतिक तनाव को बढ़ाने में भूमिका निभाते हैं।

ऐतिहासिक शिकायतें : अनसुलझी शिकायतें देशों के बीच स्थायी शत्रुता का कारण बन सकती हैं। ये शिकायतें बढ़ सकती हैं और अंततः युद्ध में बदल सकती हैं।

गठबंधन : देश अक्सर अपनी सुरक्षा बढ़ाने या साझा हितों को आगे बढ़ाने के लिए गठबंधन बनाते हैं। जब किसी देश पर हमला होता है या संघर्ष में शामिल होता है, तो उसके सहयोगी भी संघर्ष में शामिल हो सकते हैं।

विफल कूटनीति: कई बार देखा जाता है कि देशों के बीच विवादों को सुलझाने के कूटनीतिक प्रयास विफल हो जाते हैं, जिससे तनाव बढ़ता है और अंततः यह तनाव सशस्त्र संघर्ष में तब्दील हो सकता है। विफल वार्ताएं युद्ध का कारण बन सकती हैं।

गलत अनुमान : युद्ध देशों के बीच गलतफहमी या गलत अनुमान के कारण भी हो सकते हैं। एक पक्ष दूसरे के इरादों या कार्यों की गलत व्याख्या कर सकता है, जिससे अनपेक्षित संघर्ष हो सकता है।

शासन परिवर्तन : गुप्त कार्रवाइयों या प्रत्यक्ष सैन्य हस्तक्षेप के माध्यम से किसी अन्य देश की सरकार को उखाड़ फेंकने या बदलने के प्रयास से युद्ध हो सकता है। ये संघर्ष अक्सर भू-राजनीतिक और वैचारिक उद्देश्यों से प्रेरित होते हैं।

मानवाधिकारों का उल्लंघन : अन्य देशों में कथित मानवाधिकारों के हनन या मानवीय संकट के जवाब में देश सैन्य रूप से हस्तक्षेप कर सकते हैं। इन हस्तक्षेपों से संघर्ष और शासन परिवर्तन हो सकता है।

 

अभी तक लड़े गए युद्धों का लोगों के जीवन पर प्रभाव 

इस धरती पर देशों और राज्यों के बीच शासन नियंत्रण के लिए हजारों सालों से युद्ध लड़े जाते रहे हैं। जिसमें अनगिनत लोग प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हुए हैं। आज हम 20वीं और 21वीं सदी में लड़े गए बड़े युद्धों की चर्चा करेंगे, जिनके कारण बड़ी संख्या में लोग प्रभावित हुए और उनकी जिंदगी पूरी तरह से बदल गई। 

प्रथम विश्व युद्ध 28 जुलाई 1914 से 11 नवंबर 1918 तक लड़ा गया। इस युद्ध में गठबंधन देशों (ब्रिटेन, फ्रांस, रूस, अमेरिका और इटली) की सेनाएं विजयी हुईं। जबकि आस्ट्रिया-हंगरी, जर्मनी, खिलाफत-ए-उस्मानिया, बल्गारिया के साथ कुछ अन्य देशों की सेनाओं को हार का मुह देखना पड़ा। इस युद्ध में एक अनुमान के मुताबिक 99 लाख से ज्यादा सैनिक मारे गए जबकि 2 करोड़ 12 लाख से ज्यादा सैनिक घायल हुए और 77 लाख से ज्यादा सैनिक लापता हो गए। इस युद्ध से करोड़ों लोग प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हुए। 

द्वितीय विश्व युद्ध 18 सितंबर 1931 से 2 सितंबर 1945 तक चला। इस युद्ध में मित्र राष्ट्रों की विजय हुई और नाजी जर्मनी, जापान और इतालवी साम्राज्यों का पतन हुआ। इस युद्ध में एक अनुमान के मुताबिक सैनिकों और नागरिकों सहित 7 करोड़ 30 लाख से ज्यादा लोग मारे गए।

इनके अलावा 20वीं और 21वीं सदी में लड़े गए युद्धों में भारत-चीन युद्ध, भारत-पाकिस्तान युद्ध, अमेरिका-वियतनाम युद्ध, कोरियाई युद्ध, खाड़ी युद्ध, इजरायल-फिलीस्तीन युद्ध, अफ्रीकी संघर्ष, अमेरिका-इराक युद्ध, अमेरिका-अफगानिस्तान युद्ध शामिल हैं। जिनमें बड़ी संख्या में जान माल की हानि हुई और लाखों लोग अपनी जमीन से विस्थापित हुए। 

युद्ध न केवल तबाही लेकर आता है बल्कि यह क्षेत्र की संरचना को पूरी तरह से बदल देता है। लोगों की जिंदगी में इन संघर्षों का नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसलिए यह हमारी जिम्मेदारी बनती है कि इस तरह के युद्धों को रोका जाए एवं मानव जीवन के उत्थान के लिए काम किया जाए।