no-banner

जोमाराम और पिन्टू देवी के भी हुए पीले हाथ!

Start Chat


सफलता की कहानी: जोमाराम और पिन्टू देवी

 

संस्थान द्वारा आयोजित 41वें दिव्यांग एवं निर्धन सामूहिक विवाह में सात फेरे ले जनम-जनम के साथी बने जोमाराम और पिन्टू देवी।
रामफला की पिंटू जन्मजात पोलियो के कारण एक पांव से दिव्यांग है। पैर को एक हाथ का सहारा देकर चलने को मजबूर है। पिता की अचानक मौत होने के बाद माँ ने मजदूरी कर मुश्किल से पालन-पोषण किया। घर की आर्थिक हालत ठीक नहीं होने से इलाज भी संभव नहीं था। जो भी परिवार शादी के लिए देखने आए वो दुबारा नहीं लौते। सभी सहेलियों की शादी हो चुकी थी। पिन्टू प्रायः भविष्य को लेकर दुःखी ही रहती।

ऐसे ही हालातों में बसंत गढ़ निवासी जोमाराम का भी जीवन रहा। जन्म से ही दोनों पांव व कमर से दिव्यांग होने के कारण खड़े भी नहीं हो पाते थे। फिर कहीं से संस्थान की जानकारी मिली तो संस्थान आए। जहां निःशुल्क ऑपरेशन हुआ। ऑपरेशन के बाद बैशाखी और कैलिपर्स के सहारे चलने लगे, फिर आजीविका हेतु गाँव में ही किराणा की दुकान खोली।

दिव्यांगता के कारण ये भी जीवन साथी से महरूम थे। एक दिन गांव के मेले में अनायास पिंटू से इनकी मुलाकात हुई। यह मुलाकात इन्हें शादी के बंधन तक ले आई, लेकिन गरीबी के चलते शादी नहीं कर पा रहे थे। तब जोमाराम को संस्थान के निःशुल्क सामूहिक विवाह की जानकारी मिली और दोनों ने सम्पर्क कर शादी के लिए पंजीयन करवाया। आखिर 10 -11 फरवरी को इस जोड़े का सपना भी साकार हुआ।