हर्षल कदम | सफलता की कहानियाँ | निःशुल्क नारायण कृत्रिम अंग

कृत्रिम पैरों पर
हर्षल कदम

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सफलता की कहानी: हर्षल

 

ट्रेन दुर्घटना में दोनों पांव खो देने के बाद, हर्षल कदम (पुणे) की जिन्दगी वीरान सी हो गई। संजोये सपने टूट गए। घटना 30 अक्टूबर 2021 की है। ट्रेन में चढ़ ही रहे थे कि पास की पटरी से तेज रफ्तार में गुजरी ट्रेन ने चपेट में ले लिया। घटना स्थल पर मौजूद लोगों ने अस्पताल पहुंचाया। पैर पूरी तरह से क्षति ग्रस्त होने से डॉक्टरों की सलाह पर दोनों पांव कटवाने पड़े। घटना से घर में मातम छा गया। सभी का रो-रोकर बुरा हाल था।

अस्पताल से घर लौटने के कुछ महीनों बाद राजस्थान निवासी एक मित्र ने उसे पीड़ित मानवता की सेवा में समर्पित नारायण सेवा संस्थान के बारे में बताया कि वह दिव्यांगों को निःशुल्क कृत्रिम अंग प्रदान कर उन्हें नई जिंदगी देता है। संस्थान से सम्पर्क कर हर्षल परिजन के साथ मई 2023 को उदयपुर आए। यहां विशेषज्ञ आॅर्थोटिक व प्रोस्थोटिक टीम ने जांच कर दोनों कटे पैरों का माप लिया। दोनों पैरों के लिए विशेष नारायण लिम्ब तैयार कर पहनाए। कुछ दिनों उन्हें पहन कर चलने का अभ्यास भी कराया गया। अब हर्षल कृत्रिम पैरों के सहारे आसानी से चलने लगे हैं।

उपचार के बाद इन्होंने संस्थान में ही रहकर निःशुल्क मोबाइल रिपेयरिंग प्रशिक्षण प्राप्त किया। वे बताते हैं कि उन्हें यहां आकर बहुत खुशी मिली। कभी-कभी जिंदगी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं से रुबरू होने पर भी नये अवसर हासिल कर लेती है। इसके लिए हमें सकारात्मकता से आगे बढ़ने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए। संस्थान ने मुझे न केवल अपने पांवों पर खड़ा किया बल्कि आत्मनिर्भर जिंदगी दी है। उसका बहुत-बहुत आभार!