10 November 2023

जानें, दीपावली के त्यौहार पर क्यों मनाया जाता है अन्नकूट उत्सव?

दीपावली के अगले दिन ही गोवर्धन पूजा मनाने की परंपरा है। इसे अन्नकूट उत्सव के नाम से भी जाना जाता है? यह पूजा द्वापर युग से चली आ रही है। इस दिन सभी लोग अपने घोडा-गाड़ियों और वाहनों की पूजा करते हैं और मंदिरों में भगवान को भोग लगाते हैं। गोवर्धन पूजा के इस दिन गौमाता को नहलाकर उन्हें विशेष रूप से सजाया जाता है और उनकी पूजा की जाती है। इसे ब्रजवासियों का मुख्य त्यौहार माना जाता है। जहां लोग इस दिन भगवान कृष्ण के प्रति समर्पित होकर नृत्य करते हैं। 

गोवर्धन पूजा का प्रतीक

गोवर्धन पूजा का महत्व इसके प्रतीकवाद में निहित है। यह प्रकृति और पारिस्थितिकी तंत्र के महत्व को दर्शाता है। गोवर्धन पर्वत की यह पूजा हमें पर्यावरण का सम्मान और पोषण करने की याद दिलाता है जो हमारे लिए आवश्यक है। यह पूजा हमारी आवश्यकताओं को पूरा करने में पृथ्वी की भूमिका की स्वीकृति का प्रतीक है। इसके अलावा, गोवर्धन पूजा इस विचार को सामने रखती है कि ईश्वर के प्रति भक्ति और प्रसाद को विस्तृत या अनुष्ठानिक होने की आवश्यकता नहीं है। 

 

गोवर्धन की आकृति बनाकर की जाती है पूजा

इस दिन गोबर से गोवर्धन की आकृति बनाकर उसके सम्मुख श्री कृष्ण, गाय और ग्वाल बालों के टोली बनाकर पूजा की जाती है। इस दौरान दूध, दही, रोली, चंदन, फूल चावल आदि अर्पित करके पूजा की जाती है। 

 

गोवर्धन पूजा का महत्व 

पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब देवराज इन्द्र ने ब्रजवासियों पर भारी बरसात के माध्यम से कहर बरपाना शुरू किया तब भगवान श्री कृष्ण ने उनको मूसलाधार बरसात से बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली में धारण कर लिया और इन्द्र देव का घमंड तोड़ा। भगवान के इस काम से ब्रजवासियों के ऊपर जल की एक बूंद भी नहीं पड़ी और सभी गोवर्धन पर्वत की छाया में सुखपूर्वक रहे। इसके बाद ब्रह्मा जी ने इन्द्र देव को भगवान श्री कृष्ण के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि ये स्वयं भगवान नारायण हैं जिन्होंने धरती पर अवतार लिया है। 

श्री कृष्ण गोवर्धन पर्वत को 7 दिनों तक उंगली में धारण किये रहे। इसके बाद उन्होनें पर्वत को नीचे रखा और लोगों से हर साल अन्नकूट उत्सव मनाने के लिए कहा। तब से गोवर्धन पर्वत की पूजा को अन्नकूट उत्सव के रूप में मनाया जा रहा है।

हर साल कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा पर भगवान के लिए ‘छप्पन भोग’ बनाया जाता है। अन्नकूट उत्सव मनाने से लोगों को आरोग्य जीवन और लंबी उम्र प्राप्त होती है। साथ ही दरिद्रता का नाश होता है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। 

ऐसा कहा जाता है कि इस दिन दुखी नहीं रहना चाहिए। अन्यथा व्यक्ति साल भर दुखी रहता है। इसलिए भगवान कृष्ण के प्रति समर्पित इस उत्सव को हर किसी को भक्तिपूर्वक मनाना चाहिए और इस दिन को आनंदपूर्वक रहना चाहिए।