04 November 2023

दिवाली के त्यौहार के दौरान इस तिथि पर माँ काली की पूजा करने से भयमुक्त होगा आपका जीवन

दिवाली का पर्व नजदीक आ रहा है। इस बार दिवाली का पर्व 10 नवंबर से लेकर 15 नवंबर तक मनाया जाएगा। इस दौरान लोग माँ लक्ष्मी, भगवान गणेश, कुबेर और गोवर्धन की पूजा करके अपने जीवन के लिए सुख और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त करेंगे। इसके साथ ही लोग अलग-अलग दिन विभिन्न उत्सवों में शामिल होंगे, जिसमें विभिन्न देवताओं की पूजा के कार्यक्रम में भी शामिल होंगे। 

कहा जाता है कि दिवाली के त्यौहार के दूसरे दिन अर्थात रूप चौदस के दिन माँ काली की पूजा करना अत्यधिक पुण्यकारी माना जाता है। इस दिन माँ काली की पूजा करने से लोगों को माँ का आशीर्वाद प्राप्त होता है। जिससे भय से छुटकारा मिलता है और लोग निर्भीक होकर जीवन जीते हैं। 

 

काली चौदस महत्व

माँ काली को माता पार्वती की ही उग्र रूप में माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार माँ काली ने राक्षसों का वध करके अपने भक्तों को उनके प्रकोप से मुक्त कराया था। जो भी भक्त माँ काली की पूजा करता है वो सभी प्रकार की बाधाओं और भय से मुक्त हो जाता है। दिवाली के त्यौहार पर अमावस्या के एक दिन पहले माँ काली की पूजा करने का विधान है। इस बार की दिवाली पर माँ काली की पूजा 11 नवंबर को की जाएगी। कहा जाता है कि चौदस की आधी रात में माँ काली की पूजा करने से करियर-कारोबार की सारी मुश्किलें दूर हो जाती हैं। 

 

मां काली पूजा विधि

कहा जाता है कि रूप चतुर्दशी या नरक चतुर्दशी के दिन माँ काली की पूजा करने के लिए ब्रह्म मुहूर्त में उबटन लगाकर स्नान करें। स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें और शरीर पर इत्र लगाएं। लकड़ी की एक चौकी लें, उस पर कपड़ा बिछाकर माँ काली की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद माँ काली को शृंगार का समान अर्पित करें। माँ को कुमकुम, हल्दी, कपूर और नारियल भी चढ़ाएं। इसके बाद विधि विधान से पूजा करें। पूजा करते समय घी का दीपक अवश्य प्रज्वलित करें।

 

पुजारियों द्वारा बताया जाता है कि लाल चंदन की माला से माँ काली के मंत्र का जाप करने से उनका विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसिलिए चौदस के दिन लाल चंदन की माला के साथ इस मंत्र का जाप करें-

 

ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।

दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु ते।। 

 

चतुर्दशी के दिन सच्चे मन से माँ काली की आराधना करने वाले भक्त की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और उसके जीवन से सभी कष्टों का निवारण होता है।