24 November 2023

कृत्रिम अंगों के माध्यम से बदलाव लाने में नारायण सेवा संस्थान निभा रहा है महत्वपूर्ण भूमिका

नारायण सेवा संस्थान भारत के राजस्थान के उदयपुर में स्थित एक गैर-लाभकारी और गैर-सरकारी संगठन है। जो विगत कई वर्षों से शारीरिक रूप से दिव्यांग व्यक्तियों के लिए आशा की किरण रहा है। इस संस्थान का प्राथमिक लक्ष्य मुफ्त सुधारात्मक सर्जरी प्रदान करना है। संगठन ने अपने कार्यों का विस्तार करते हुए दिव्यांगजनों को सुधारात्मक सर्जरी के साथ मुफ्त कृत्रिम अंग प्रदान किए हैं। अभी तक संस्थान के द्वारा 4,37,952 से अधिक दिव्यांग लोगों की सुधारात्मक सर्जरी की जा चुकी हैं, साथ ही लाखों लोगों को कृत्रिम अंग वितरित किए जा चुके हैं।  

 

करुणा की यात्रा

इस संस्थान की स्थापना साल 1985 में कैलाश जी ‘मानव’ द्वारा की गई थी। शुरुआत में संस्थान के संस्थापक हर घर से एक मुट्ठी आटा एकत्र करते थे और चिकित्सालय में लोगों को भोजन कराते थे। अगर पिछले कुछ वर्षों के कार्यों पर गौर किया जाए तो संगठन एक बहुआयामी इकाई के रूप में विकसित हुआ है। इस दौरान संस्थान ने सामने आने वाली चुनौतियों को देखते हुए सुधारात्मक सर्जरी से परे कई कल्याणकारी क्षेत्रों में अपनी पहुंच का विस्तार किया है।

इस प्रक्रिया में रोगियों का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन शामिल है। साथ ही कृत्रिम अंगों की कस्टम डिजाइन और फिटिंग का भी काम संस्थान के द्वारा किया जाता है। यह लक्ष्य न केवल कार्यात्मक है, बल्कि सौंदर्यपरक भी है। निःशुल्क कृत्रिम अंग प्रदान करके, नारायण सेवा संस्थान दिव्यांगजनों की वित्तीय बाधाओं को दूर करता है, जिससे यह जीवन बदलने वाली तकनीक उन लोगों के लिए सुलभ हो जाती है जिन्हें इसकी सबसे अधिक आवश्यकता है।

 

कृत्रिम अंग

अगर आधुनिक युग को देखा जाए तो इस दौरान चिकित्सा क्षेत्र में जबरदस्त प्रगति हुई है। पिछले कई सालों में बहुत सारी बीमारियों का उपचार खोजा जा चुका है। उपचार के साथ-साथ कृत्रिम अंगों का विकास भी तेजी के साथ हुआ है। उन लोगों को लगाने के लिए कृत्रिम अंग भी विकसित किए जा चुके हैं जो किसी दुर्घटना में अपने अंग खो चुके हैं या प्राकृतिक रूप से उनका कोई अंग नहीं है। 

नारायण सेवा संस्थान का कृत्रिम अंग कार्यक्रम दिव्यांग लोगों के लिए गेम-चेंजर रहा है। संगठन लोगों के अनुरूप आधुनिक तकनीक से कृत्रिम अंगों को डिजाइन करता है और उन्हें नि:शुल्क प्रदान करता है। ये कृत्रिम अंग न केवल दिव्यांगजनों की गतिशीलता बहाल करते हैं बल्कि प्राप्तकर्ताओं को मनोवैज्ञानिक रूप से भी प्रभावित करते हैं। निःशुल्क कृत्रिम अंग प्रदान करके, नारायण सेवा संस्थान लोगों की वित्तीय परेशानियों को दूर करता है, जिससे यह जीवन में बदलाव लाने वाली चिकित्सा उन लोगों के लिए सुलभ हो जाती है जिन्हें इसकी सबसे अधिक आवश्यकता है।

 

नारायण सेवा संस्थान का कृत्रिम अंग वितरण कार्यक्रम 

‘कुआं प्यासे के पास’ योजना के तहत नारायण सेवा संस्थान दिव्यांग लोगों के कल्याण के लिए उनके ही शहर में कृत्रिम अंग वितरण शिविर का आयोजन करता है। ये शिविर भारत के विभिन्न शहरों के साथ विदेशों में भी आयोजित किए जाते हैं। जिनमें दिव्यांग लोगों के अंगों का माप लेकर उन्हें कृत्रिम अंग प्रदान किए जाते हैं। जिससे उनकी जिंदगी आसान हो जाती है और उन्हें नई जिंदगी जीने का मौका मिलता है।

कृत्रिम अंगों के माध्यम से समाज में बदलाव लाने में नारायण सेवा संस्थान ने विगत वर्षों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। संस्थान के प्रयास से लाखों लोगों को नई जिंदगी मिली है। जिससे वो अन्य लोगों की तरह चल फिर सकते हैं और अपना जीवन यापन कर सकते हैं।