16 November 2023

इसलिए बढ़ रहा है भारत के शहरों में वायु प्रदूषण

हाल के वर्षों में, भारत में वायु प्रदूषण के स्तर में चिंताजनक वृद्धि देखी गई है। खासकर उत्तर भारत के शहरों में वायु प्रदूषण वर्ष प्रतिवर्ष बढ़ता जा रहा है। इस प्रदूषण के कारण लाखों लोगों का स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है और पारिस्थितिकी तंत्र पर दबाव पड़ रहा है। भारत के शहरों में वायु प्रदूषण की समस्या के लिए कई कारक जिम्मेदार हैं, जिनके कारण वायु प्रदूषण में लगातार इजाफा हो रहा है।   

अगर पिछले कुछ दिनों की बात करें तो राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक 500 के पार चला गया। जो बेहद गंभीर स्थिति है। वायु प्रदूषण के कारण महानगरों में दृश्यता घट गई है और लोगों को सांस लेने में तकलीफ हो रही है। वातावरण में वायु प्रदूषण बढ़ने के पीछे कई कारण हैं जो हवा में प्रदूषक कणों को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार हैं। 

 

औद्योगिक उत्सर्जन

औद्योगिक उत्सर्जन के कारण लगातार वायु प्रदूषण बढ़ रहा है। वस्तुओं और सेवाओं की बढ़ती मांग के साथ देश में औद्योगिकीकरण ने गति पकड़ी है। उद्योग हवा में भारी मात्रा में प्रदूषक छोड़ते हैं। कारखानों, बिजली संयंत्रों और विनिर्माण इकाइयों से निकलने वाला उत्सर्जन वायु की गुणवत्ता में गिरावट में महत्वपूर्ण योगदान देता है। सरकार द्वारा पर्यावरणीय नियमों में ढील समस्या को बढ़ा देती है। इस ढील के कारण उद्योग प्रदूषण नियंत्रण उपायों का पालन किए बिना ही अपना काम चलाते रहते हैं। 

 

वाहन उत्सर्जन और बुनियादी ढांचे की कमी 

पिछले कुछ सालों में अगर देखा जाएग तो भारत में वाहनों की संख्या में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है। वाहनों से निकलने वाले धुएं के साथ नाइट्रोजन ऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और वाष्पशील कार्बनिक यौगिक निकलते हैं। जिनकी मदद से प्रदूषण तेजी से फैलता है। बुनियादी ढांचे की कमी और अपर्याप्त सार्वजनिक परिवहन लोगों को निजी वाहन खरीदने के लिए प्रेरित करता है। सड़कों पर तेजी से बढ़ रहे वाहन वायु प्रदूषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। 

 

पराली जलाना

उत्तर भारतीय राज्यों में खरीफ की फसल के बाद रबी की फसल के लिए खेत तैयार करने के लिए किसान खेत में पड़ी हुई पराली जला देते हैं। एक साथ बड़ी मात्रा में पराली जलाने पर बड़ी मात्रा में धुआं उत्पन्न होता है जो वायुमंडल में प्रदूषण का कारण बनता है। यह धुआं उत्तर भारत के कई शहरों के साथ दिल्ली जैसे शहरों के ऊपर आकर जमा हो जाता है। जिससे दृश्यता घट जाती है और लोगों को सांस लेने में दिक्कत का सामना करना पड़ता है। 

 

बायोमास जलाना

ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में खाना पकाने और हीटिंग उद्देश्यों के लिए बायोमास जलाया जाता है। जिससे कई हानिकारक प्रदूषक निकलते हैं। लकड़ी, कंडे और फसल के अवशेष ठोस ईंधन के रूप में वायु प्रदूषण बढ़ाने में बड़ा योगदान देते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार, बायोमास उत्सर्जन के सीधे संपर्क में आने वाले लोगों को गंभीर स्वास्थ्य सस्याएं हो सकती हैं। 

 

निर्माण गतिविधियां 

भारतीय शहरों में तेजी से हो रहे शहरीकरण और बुनियादी ढांचे के विकास के कारण पिछले कुछ सालों में निर्माण गतिविधियों में तेजी आई है। इन गतिविधियों के कारण हवा में पर्याप्त मात्रा में धूल और कण पहुंचते हैं। ये कण आसपास के क्षेत्रों में जमा हो जाते हैं और प्रदूषण बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। 

भारतीय शहरों में बिगड़ती वायु गुणवत्ता एक बहुत बड़ी चुनौती है। जिस पर जल्द से जल्द ध्यान देने की आवश्यकता है। सरकार को चाहिए कि वो पर्यावरण संबंधी नियमों को सख्ती से लागू करे, स्वच्छ प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा दे और सार्वजनिक परिवहन बुनियादी ढांचे में निवेश करे। भारत के शहरों के लिए एक स्वस्थ और अधिक लचीला भविष्य सुनिश्चित करने के लिए सरकार को पर्यावरण पर ध्यान देना चाहिए और वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए युद्ध स्तर पर प्रयत्न करना चाहिए।