09 May 2025

अपरा एकादशी पर करें भगवान विष्णु को प्रसन्न, जानें तिथि और शुभ मुहूर्त

Start Chat

हिन्दू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को अपरा एकादशी के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु की उपासना करने तथा दीन-हीन, असहाय लोगों को दान देने से साधक के सभी दुख और दर्द दूर हो जाते हैं। साथ ही जीवन में आ रही समस्याओं से छुटकारा मिलता है।

अपरा एकादशी के दिन पूजा-पाठ बेहद लाभकारी माना जाता है। एकादशी के दिन इस जगत के पालनहार भगवान विष्णु और माँ लक्ष्मी की उपासना करने से उपासकों को उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है और भगवान उन्हें बैकुंठ में स्थान प्रदान करते हैं।

 

अपरा एकादशी का महत्व

अपरा एकादशी अपार पुण्य और खुशियों की प्रदाता मानी जाती है। इस दिन निर्जल अर्थात बिना पानी के निराहार रहने पर हर प्रकार के मनोरथ की सिद्धि होती है। अपरा एकादशी के शुभ दिन पर व्रत रखने से खुशियों की प्राप्ति के साथ-साथ ब्रह्म हत्या, परनिंदा और प्रेत योनि जैसे पापों से मुक्ति मिलती है। इस दिन भगवान विष्णु की तुलसी, चंदन, कपूर व गंगाजल से पूजा करनी चाहिए।

 

अपरा एकादशी 2025 तिथि और शुभ मुहूर्त

साल 2025 में अपरा एकादशी 23 मई को मनाई जाएगी। एकादशी का शुभ मुहूर्त 22 मई को रात 1:12 बजे से प्रारंभ होगा। जो अगले दिन 23 मई, को शाम 10:29 बजे समाप्त होगा। सनातन धर्म में सूर्योदय के समय का शुभ मुहूर्त ही मान्य होता है इसलिए उदयाथिति के अनुसार अपरा एकादशी 23 मई को मनाई जाएगी। व्रत के पारण का समय 24 मई को प्रातः 5:26 से 8:11 के बीच होगा।

 

अपरा एकादशी पर दान का महत्व

अपरा एकादशी सनातन परंपरा में बेहद पुण्यकारी दिन माना जाता है। इसलिए इस पावन तिथि पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु की आराधना के साथ स्नान-दान करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है। साथ ही इस दिन ब्राह्मणों तथा दीन-हीन, असहाय, निर्धन लोगों को भोजन, वस्त्र, धन, अन्न और फलों का दान करना बेहद उत्तम माना जाता है। एकादशी के शुभ अवसर पर दान देने वाले साधकों को भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और उनके समस्त दु:खों और कष्टों का निवारण होता है।

शास्त्रों के अनुसार, एक हाथ से दिया गया दान हजार हाथों से आपके पास लौटकर आता है। लोगों के द्वारा कमाया गया धन, यश एवं ऐश्वर्य सब कुछ यहीं छूट जाता है लेकिन दान के द्वारा कमाया गया पुण्य मृत्यु के पश्चात भी आपके साथ रहता है।

 

हिन्दू धर्म के कई पौराणिक ग्रंथों में दान के महत्व को विस्तार से बताया गया है। दान का उल्लेख करते हुए गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में कहा है-

तुलसी पंछी के पिये घटे न सरिता नीर।
दान दिये धन ना घटे जो सहाय रघुवीर।।

अर्थात् जिस प्रकार पक्षियों के पानी पीने से नदी का जल कम नहीं होता, उसी प्रकार यदि भगवान का आशीर्वाद आपके साथ है तो दान देने से आपके धन के भंडार में कभी कमी नहीं होती।

 

अपरा एकादशी पर करें इन चीजों का दान

अपरा एकादशी पर दान का बड़ा महत्व माना जाता है। कहा जाता है कि इस शुभ दिन पर अन्न और भोजन का दान सर्वश्रेष्ठ है। साथ ही इस दिन दीन-हीन, असहाय बच्चों को भोजन कराने तथा वस्त्र दान करने के साथ शिक्षा से संबंधित चीजें दान करना भी बेहद पुण्यकारी माना जाता है। अपरा एकादशी के पुण्यकारी अवसर पर नारायण सेवा संस्थान के भोजन दान, वस्त्र दान और शिक्षा दान के प्रकल्प में सहयोग करके पुण्य के भागी बनें।