वैशाख पूर्णिमा सनातन धर्म में बेहद महत्वपूर्ण तिथि है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का बड़ा महत्व है। वैशाख पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने के साथ ही दीन-हीन, असहाय लोगों को दान देने की भी परंपरा है। कहा जाता है कि वैशाख पूर्णिमा के दिन ही भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था, साथ ही इसी दिन उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। वहीं, वैशाख पूर्णिमा पर कई वर्षों तक घोर तपस्या के बाद भगवान बुद्ध का परिनिर्वाण हुआ था। इसलिए इस पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।
इस बार की वैशाख पूर्णिमा पर कई शुभ योग बन रहे हैं। इन योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से साधकों को प्रभु का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। और मनोवांक्षित फल की प्राप्ति होती है।
वैशाख पूर्णिमा 2025 तिथि और शुभ मुहूर्त
हिन्दू पंचांग के अनुसार, इस साल की वैशाख पूर्णिमा 12 मई को मनाई जाएगी। पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त 11 मई को सायं 8 बजकर 1 मिनट से शुरू होगा। जो अगले दिन 12 मई को सायं 10 बजकर 25 मिनट पर समाप्त होगा। इस हिसाब से उदयातिथि के अनुसार वैशाख पूर्णिमा 12 मई को मनाई जाएगी।
वैशाख पूर्णिमा का महत्व
वैशाख पूर्णिमा हिन्दू धर्म में एक अत्यंत पुण्यदायक तिथि मानी जाती है। इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। ऐसा विश्वास है कि इस दिन गंगा या किसी भी पवित्र नदी में स्नान और दान करने से व्यक्ति को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। यह दिन न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि दान-पुण्य के कार्यों के लिए भी श्रेष्ठ माना जाता है।
इस अवसर पर ब्राह्मणों, निर्धनों, असहाय और दिव्यांग व्यक्तियों को भोजन, वस्त्र, अन्न, फल और धन का दान करना शुभ माना जाता है। इससे व्यक्ति के पापों का क्षय होता है और जीवन में सुख-शांति आती है। भगवान विष्णु की कृपा से दुःख और संकटों से मुक्ति मिलती है। इस दिन किए गए पुण्य कार्य कई गुना फल देते हैं और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
वैशाख पूर्णिमा पर दान का महत्व
हिन्दू धर्म में दान करना बेहद महत्वपूर्ण सत्कर्म माना जाता है। कहा जाता है कि एक हाथ दिया गया दान आपके पास हजार हाथों से वापस आता है। शास्त्रों में कहा गया है, “जब कोई जरूरतमंदों को दान देता है तब उसे पापों से मुक्ति मिलती है। लोगों के द्वारा कमाया गया धन, यश एवं ऐश्वर्य सब कुछ यहीं छूट जाता है, लेकिन दान द्वारा कमाया गया पुण्य मृत्यु के पश्चात भी आपके साथ रहता है।
दान के महत्व का उल्लेख करते हुए मनुस्मृति में कहा गया है-
तपः परं कृतयुगे त्रेतायां ज्ञानमुच्यते ।
द्वापरे यज्ञमेवाहुर्दानमेकं कलौ युगे ॥
अर्थात् सतयुग में तप, त्रेता में ज्ञान, द्वापर में यज्ञ और कलियुग में दान मनुष्य के कल्याण का साधन है।
वैशाख पूर्णिमा पर करें इन चीजों का दान
हर पूर्णिमा की तरह वैशाख पूर्णिमा पर भी स्नान-दान बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। इस पुण्यकारी दिन पर अन्न दान का विशेष महत्व है। वैशाख पूर्णिमा के दिन नारायण सेवा संस्थान के भोजन दान, वस्त्र दान और शिक्षा दान के प्रकल्प में सहयोग करके पुण्य के भागी बनें।