Success Story of Ankur | Narayan Seva Sansthan
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कैलिपर पाकर निकल पड़ा अंकुर

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सफलता की कहानी : अंकुर

उत्तर प्रदेश के इटावा निवासी अंकुर (17) जन्मजात पोलियों का शिकार होने के कारण दोनों पैरो से चलने-फिरने में असमर्थ था। माता -पिता ने आस-पास के अस्पतालों में दिखाया परन्तु बेटे के ठीक होने का कहीं से भी कोई भी सार्थक संकेत नहीं मिला। दिव्यांगता की पीड़ा ढ़ोते-ढ़ोते सत्रह बरस बीत गए। अंकुर की इस स्थिति से परिवार भी चिंतित रहता। समझ ही नहीं आ रहा था कि क्या करें और क्या नहीं। बेटे के भविष्य की चिंता सताए जा रही थी। उपचार की आस में भटकते-भटकते थक से गए थे। तभी एकाएक उम्मीद की किरण जगी। पड़ोसी गांव के एक व्यक्ति ने अंकुर को नारायण सेवा संस्थान उदयपुर ले जाने की सलाह दी जहां जन्मजात विकलांगों का निःशुल्क उपचार होता हैं। उसने बताया कि मेरी लड़की भी जन्म से ही एक पांव से दिव्यांग थी। संस्थान के उपचार ने ठीक कर दिया। अब वह आराम से चलती है। पड़ोसी की सलाह पाकर बिना समय गवाएं माता-पिता अंकुर को 9 सितम्बर 2022 को संस्थान लेकर आए। जहां डाॅक्टरों ने जांच कर आपरेशन की सलाह न देकर कैलिपर पहनाने की सलाह दी, 11 सितम्बर को दोनों पैरों का माप लिया और 12 सितम्बर को कैलिपर तैयार कर पहनाए। कैलिपर पहन अंकुर अब धीरे-धीरे चलने लगा। बेटे को अपने पैरो पर खड़ा होते व चलते देख माता-पिता बहुत प्रसन्न हुए। वे बताते हैं कि अंकुर अब आसपास दोस्तो से मिलने अकेला ही निकल पड़ता है।