17 February 2023

सोमवती अमावस्या | दोष से मुक्ति दिलाने वाली अमावस्या

क्या होती है अमावस्या ?

हिंदू शास्त्र के अनुसार जिस दिन सूर्य और चंद्रमा एक ही राशि में गोचर करते हैं और चन्द्रमा आकाश में दिखाई नहीं देता हैं उसे अमावस्या तिथि माना जाता है अर्थात जिसका क्षय और उदय नहीं होता है उसे अमावस्या कहा जाता है। चन्द्रमा की 16वीं कला को ‘अमा’ कहते है जिसमें चन्द्रमा की 16 कलाओं की शक्ति शामिल है। चन्द्रमा की ‘अमा’ नाम की महाकला के और भी कई नाम है , जैसे अमावस्या, सूर्य-चन्द्र संगम, पंचदशी, अमावसी, अमावासी, अमामासी आदि। अमावस्या हर महीने में एक बार ही आती है और इस प्रकार एक वर्ष में कुल 12 अमावस्याएं होती हैं। प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि अमावस्या के नाम से जानी जाती है। शास्त्रों में अमावस्या तिथि के स्वामी पितृ देव को माना गया है इसलिए यह तिथि पितृदोष से मुक्ति पाने के लिए विशेष मानी जाती है।

 

वर्ष की सबसे विशेष अमावस्या।

फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या का धर्मग्रंथों में विशेष महत्व बताया गया है जिसे सोमवती अमावस्या कहा जाता है और सोमवार के दिन होने के कारण इसे सोमवती अमावस्या के नाम से जाना जाता हैं। विज्ञान और गणित सिद्धांत के अनुसार सोमवार के दिन अमावस्या तिथि होना दुर्लभ संयोग माना जाता है और समय चक्र के अनुसार अमावस्या का सोमवती होना बिल्कुल अनिश्चित है। इस वर्ष यह संयोग हिंदू संवत्सर 2079 के अंतिम महीने यानी फाल्गुन माह की अमावस्या तिथि और अंग्रेजी महीने की 20 फरवरी को पड़ रही है। जो 19 फरवरी की शाम 4.18 बजे से प्रारंभ हो रही है और 20 फरवरी को दोपहर 12.35 बजे तक रहेगी परन्तु उदयातिथि को आधार मानते हुए सोमवती अमावस्या सोमवार के दिन 20 फरवरी को मनाई जाएगी। शास्त्रों में बताया गया है कि फाल्गुन मास में सोमवती अमावस्या तिथि पड़ने से बहुत लाभ मिलता है।

 

सोमवती अमावस्या महत्व।

सोमवती अमावस्या के दिन  शिव-पार्वती की पूजा करने से दांपत्य जीवन में खुशहाली आती है और विपत्तियों से बचाव होता है। साथ ही पवित्र नदी में स्नान और पितरों की पूजा करने का भी विधान है। माना जाता है कि सोमवती अमावस्या पर पितरों का पूजन करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है और उनका आशीर्वाद मिलता है। सोमवती अमावस्या व्रत को शास्त्रों में ‘अश्वत्थ प्रदक्षिणा व्रत’ की भी संज्ञा दी गयी है। ‘अश्वत्थ’ अर्थ पीपल वृक्ष है। पीपल के पेड़ में देवी-देवताओं का वास होता है, इसलिए इस दिन पीपल के पेड़ को जल अर्पित करने से और पेड़ के नीचे दीपक जलाने से व्यक्ति को विशेष लाभ मिलता है इस दिन व्रत और कथा का पाठ करने से चंद्र का दोष दूर होता है, जीवन में सुख-शांति आती है और समस्त पापों से मुक्ति मिलती है। महाभारत में भीष्म ने युधिष्ठिर को इस दिन का महत्व समझाते हुए कहा था कि, इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने वाला मनुष्य समृद्ध, स्वस्थ्य और सभी दुखों से मुक्त होगा।

 

सोमवती अमावस्या पर सेवा और दान से सौभाग्य की प्राप्ति।

मान्यता है कि सोमवती अमावस्या के दिन व्रत और स्नान के साथ दान करना भी अत्यंत लाभकारी माना जाता है। इस दिन निर्धन और असहायजन को दान करने से सभी तरह के दोष से मुक्ति मिलती है और सभी मनोकामना पूर्ण होती है। दान और सेवा करने के फलस्वरूप असंतोष की समस्या भी दूर होती है साथ ही सफलता और समृद्धि की प्राप्ति होती है। अमावस्या तिथि पर पितरों को प्रसन्न करने के लिए जरूरतमंद लोगों को दवा, वस्त्र, भोजन का दान करना सर्वाधिक उत्तम माना जाता है।