23 November 2023

जानें, फिजियोथेरेपी किस तरह से दिव्यांगों के जीवन में ला रही है बदलाव

फिजियोथेरेपी एक ऐसी चिकित्सा पद्धति है जो लोगों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव लेकर आ रही है। यह चिकित्सा पद्धति विकलांगता के साथ जी रहे अनगिनत व्यक्तियों के जीवन में उम्मीद की किरण बनकर उभरी है। आज के युग में फिजियोथेरेपी विविध क्षमताओं वाले लोगों के जीवन में सुधार के लिए उत्प्रेरक बन गई है। इस चिकित्सा पद्धति में बिना दवाइयों के व्यायाम और सिकाई के माध्यम से उपचार किया जाता है। यह निम्नलिखित तरीकों से दिव्यांगजनों के जीवन में बदलाव लाने का काम कर रही है। 

 

दिव्यांगों को गतिशीलता प्रदान करना

कई दिव्यांग लोगों के लिए चल फिर न पाना एक बड़ी चुनौती है। फिजियोथेरेपी के माध्यम से विशेषज्ञ उनकी गतिशीलता को बहाल करने में मदद करते हैं। इसके द्वारा लक्षित मांसपेशियों को मजबूत बनाने के लिए काम किया जाता है। फिजियोथेरेपी दिव्यांग व्यक्तियों को अधिक आसानी और आत्मविश्वास के साथ जीवन जीने के मौका देती है। 

 

दर्द प्रबंधन और पुनर्वास

दर्द प्रबंधन फिजियोथेरेपी का एक महत्वपूर्ण उपचार है। ऐसा देखा जाता है कि दिव्यांगता के शिकार लोगों को अक्सर दीर्घकालिक दर्द से जूझना पड़ता है, यह दर्द किसी भी व्यक्ति के दैनिक जीवन को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है। फिजियोथेरेपी एक समग्र समाधान के रूप में काम करती है, जिसमें दर्द को प्रबंधित करने और कम करने के लिए विभिन्न तकनीकों का उपयोग किया जाता है। मैनुअल थेरेपी, इलेक्ट्रोथेरेपी और विशेष अभ्यासों के द्वारा दर्द को प्रबंधित करने में मदद मिलती है। 

चोटों, सर्जरी या चिकित्सीय स्थितियों के कारण दिव्यांग व्यक्तियों के लिए पुनर्वास फिजियोथेरेपी की आधारशिला है। डॉक्टर व्यापक पुनर्वास कार्यक्रम तैयार करने के लिए रोगियों के साथ मिलकर काम करते हैं। वो फिजियोथेरेपी के माध्यम से व्यक्तियों को उनके शरीर और जीवन पर नियंत्रण हासिल करने के लिए सशक्त बनाते हैं। 

 

शक्ति और कार्यक्षमता बढ़ाना

फिजियोथेरेपी का एक महत्वपूर्ण कार्य शरीर में शक्ति लाना है। ताकि मांसपेशियां सुचारू रूप से काम कर सकें। दिव्यांगजनों के लिए मांसपेशियों में शक्ति बनाए रखना महत्वपूर्ण है। इस चिकित्सा पद्धति में नवीन चिकित्सीय तौर-तरीकों के संयोजन के माध्यम से फिजियोथेरेपिस्ट रोगियों के शरीर के अंगों में फिर से शक्ति लाने का काम करते हैं ताकि उनके कार्यक्षमता बढ़ सके। 

 

आत्मविश्वास और मानसिक कल्याण

फिजियोथेरेपी का प्रभाव शारीरिक क्षेत्र से कहीं आगे तक फैला हुआ है। यह चिकित्सा पद्धति मानसिक और भावनात्मक कल्याण को सकारात्मक रूप से प्रभावित करती है। दिव्यांग लोगों के भीतर अक्सर अक्सर निराशा और चिंता की भावना उत्पन्न हो जाती है। जिससे लड़ने के लिए फिजियोथेरेपिस्ट सलाहकार और मार्गदर्शक के रूप में कार्य करते हैं और उन्हें निराशा के दलदल से बाहर निकालते हैं। जैसे-जैसे लोग अपनी गतिशीलता और कार्यक्षमता में ठोस सुधार देखते हैं, वो निराशा से बाहर निकलकर समान्य जिंदगी की तरफ आगे बढ़ते हैं। 

 

फिजियोथेरेपी चिकित्सा में नारायण सेवा संस्थान का योगदान 

राजस्थान के उदयपुर स्थित नारायण सेवा संस्थान ने दिव्यांगजनों के लिए एक फिजियोथेरेपी केंद्र स्थापित किया है। जहां दिव्यांगजनों का नि:शुल्क उपचार किया जाता है और उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनाया जाता है। 

फिजियोथेरेपी के माध्यम से दिव्यांगजन शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से मजबूत होते है। जिससे वो जीवन की कड़ी चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार होते हैं। यह चिकित्सा पद्धति न केवल शारीरिक दुर्बलताओं को ठीक करती है बल्कि मनोवैज्ञानिक स्तर पर भी दिव्यांगजनों को मजबूत बनाती है।