23 November 2023

इस दिन मनाई जाएगी कार्तिक पूर्णिमा, ‘शिव’ योग का हो रहा है निर्माण

भारतीय त्यौहारों की श्रृंखला में, कार्तिक पूर्णिमा का विशेष महत्व है। यह पर्व लोगों को आध्यात्मिकता, परंपरा और प्रकृति के साथ जोड़ता है। इस त्यौहार को देव दीपावली, त्रिपुरारी पूर्णिमा या कार्तिक माह की पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। यह शुभ दिन का देश भर की विभिन्न संस्कृतियों में गहरा महत्व रखता है।

 

धार्मिक महत्व

कार्तिक पूर्णिमा हिंदू धर्म में विशेष स्थान रखती है। सनातन धर्म में कहा जाता है कि इस दिन भगवान शिव ने राक्षस त्रिपुरासुर का वध किया था। इसलिए इस दिन को त्रिपुरारी पूर्णिमा के नाम से मनाया जाता है। लोग इस पूर्णिमा पर भगवान शिव से आध्यात्मिक विकास और बाधाओं को दूर करने के लिए आशीर्वाद मांगते हैं। हिन्दू श्रद्धालुओं के लिए कार्तिक पूर्णिमा कार्तिक माह के अंत का भी प्रतीक है। यह दिन विभिन्न अनुष्ठानों, पूजा और दान के कार्यों को करने के लिए अत्यधिक शुभ माना जाता है।

 

अनुष्ठान और परंपराएं 

यह त्यौहार पूरे देश में बड़े उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाता है। इस दिन दीये जलाए जाते हैं जो कार्तिक पूर्णिमा से जुड़ी सबसे प्रतिष्ठित परंपराओं में से एक है। कार्तिक पूर्णिमा के  शाम के समय भारत की आध्यात्मिक राजधानी वाराणसी में गंगा नदी के घाट लाखों मिट्टी के दीयों की रोशनी से जीवंत हो उठते हैं, जिससे एक मनमोहक दृश्य पैदा होता है। भक्तों का मानना है कि इस दिन दीपक जलाना अंधकार पर प्रकाश की जीत और अज्ञानता को दूर करने का प्रतीक है।

भारत में पूर्णिमा के दिन लोग डुबकी लगाने के लिए पवित्र नदियों और सरोवरों पर जाते हैं। इसे कार्तिक पूर्णिमा स्नान के रूप में जाना जाता है। इस दिन गंगा, यमुना और अन्य पवित्र नदियों में भारी भीड़ होती है। लोग स्नान करने के बाद देवताओं को जल अर्पित करते हैं, साथ ही अच्छे और सुखी जीवन की कामना करते हैं। 

 

इस दिन मनाई जाएगी कार्तिक पूर्णिमा

कार्तिक पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त 26 नवंबर को शाम 3 बजकर 53 मिनट से शुरू होगा। जो अगले दिन 27 नवंबर को 2 बजकर 27 मिनट पर समाप्त होगा। ऐसे में पंडितों के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा 27 नवंबर को मनाई जाएगी। 

 

शिव योग का हो रहा है निर्माण 

इस बार की कार्तिक पूर्णिमा में शिव योग का निर्माण हो रहा है। यह योग पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त शुरू होने से लेकर रात 11 बजकर 39 मिनट तक रहेगा। सनातन धर्म में इस योग को शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि इस योग में भगवान शिव की आराधना करने से अमोघ फल की प्राप्ति होती है। साथ ही भाग्य आपका साथ देता है और बिगड़े काम बनने लगते हैं। 

 

सांस्कृतिक उत्सव

कार्तिक पूर्णिमा धार्मिक पर्व के साथ-साथ एक सांस्कृतिक उत्सव भी है। इस दिन विभिन्न संस्कृतियों के लोग एक साथ आते हैं और पर्व को मनाते हैं। देश के विभिन्न क्षेत्रों में यह पूर्णिमा सांस्कृतिक उत्साह के साथ मनाई जाती है। राजस्थान में अजमेर के नजदीक कार्तिक पूर्णिमा पर पुष्कर मेला लगता है। यह मेला सांस्कृतिक कार्यक्रमों, ऊंट दौड़, पारंपरिक संगीत और नृत्य के माध्यम से आगंतुकों को आकर्षित करता है। 

 

स्नान-दान का महत्व

कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान-दान का विशेष महत्व माना जाता है। इस दिन लोग पवित्र जल स्रोतों में स्नान के बाद दान देते हैं। इस दान में अनाज, भोजन और वस्त्र आदि का दान शामिल होता है। लोगों के अलावा कई धर्मार्थ संगठन इस दिन जरूरतमंदों को खाना खिलाते हैं और स्वास्थ्य शिविर आयोजित करते हैं।

कार्तिक पूर्णिमा, अपने गहरे धार्मिक महत्व और जीवंत सांस्कृतिक उत्सव के कारण भारत के त्यौहारों की समृद्ध परंपरा का एक सटीक उदाहरण है। यह पर्व मानवता, आध्यात्मिकता और प्रकृति के बीच गहरे संबंध की याद दिलाता है। यह पर्व लोगों को अपने जीवन में आध्यात्मिक यात्रा के लिए प्रोत्साहित करता है। पूर्णिमा की शाम में पवित्र जल के किनारे दीयों की रोशनी हमें अपने मन को सकारात्मकता से रोशन करने के लिए प्रेरित करती है।