30 October 2023

जानें, क्यों दुनिया के लिए खतरा बनता जा रहा है आतंकवाद?

हाल के दशकों में आतंकवाद दुनिया के लिए एक गंभीर खतरे के रूप में उभरा है, जो देशों की सीमाओं को पार करके दुनिया भर में तबाही मचा रहा है। चरमपंथी विचारधाराओं से प्रेरित यह खतरा अपने पीछे विनाश, निर्दोष लोगों की जान जाने और आर्थिक उथल-पुथल का निशान छोड़ रहा है। अगर दुनिया के देशों की बात करें तो दुनिया के कई देश आतंकवाद से परेशान हैं और इससे निपटने का उपाय खोज रहे हैं। 

 

आतंकवाद की प्रकृति

आतंकवाद एक बहुआयामी घटना है जिसके बने रहने में कई कारकों का योगदान है। खतरे को कम करने के लिए इन जटिलताओं को समझना आवश्यक है। 

वैचारिक प्रेरणाएं: आतंकवाद अक्सर धार्मिक, राजनीतिक या सामाजिक मान्यताओं में निहित चरमपंथी विचारधाराओं से उत्पन्न होता है। ये विचारधाराएं एक ऐसा ढांचा प्रदान कर सकती हैं जो कुछ उद्देश्यों को प्राप्त करने के साधन के रूप में हिंसा को वैध बनाती है, जिससे उनका मुकाबला करना मुश्किल हो जाता है।

सामाजिक और आर्थिक कारक : ऐसा देखा गया है कि कई मामलों में सामाजिक-आर्थिक असमानताएं भी आतंकवाद को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। अवसरों और आय की कमी आतंकवाद के विस्तार में ईंधन का काम करती है। बहुत सारे युवा हताशा के कारण इस रास्ते पर आगे बढ़ जाते हैं। 

वैश्वीकरण और प्रौद्योगिकी : जहां एक ओर वैश्वीकरण और प्रौद्योगिकी का फायदा दुनिया में रह रहे आम लोगों को मिला है तो वहीं इसका फायदा आतंकवादियों ने भी भरपूर उठाया है। आज के युग में इंटरनेट नए आतंकवादियों की भर्ती और कट्टरपंथ के लिए एक शक्तिशाली उपकरण बन गया है, जिसके माध्यम से चरमपंथी अब दुनिया भर में अपनी पहुंच स्थापित कर चुके हैं। 

 

आतंकवाद का वैश्विक प्रभाव

आतंकवाद का प्रभाव दुनिया के ज्यादातर देशों में है। कई देशों में तो आतंकवाद इस कदर हावी है कि वहां पर लोगों का जीना दूभर हो गया है। आतंकवाद का कहर अर्थव्यवस्थाओं, अंतर्राष्ट्रीय संबंधों और सुरक्षा की भावना को प्रभावित करता है।

आर्थिक परिणाम : आतंकवाद के कारण देशों की आर्थिक गतिविधियां बाधित होती हैं। इससे विदेशी निवेश प्रभावित होता है। निवेशक आतंकवाद प्रभावित देशों से दूरी बनाने लगते हैं। पर्यटन पर नकारात्मक असर पड़ता है और देशों के महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचता है। आतंकवाद उन्मूलन के लिए विभिन्न देशों की सरकारों को भारी रकम खर्च करनी होती है। जिससे सरकारों पर वित्तीय बोझ बढ़ता है। 

सामाजिक और मनोवैज्ञानिक प्रभाव : आतंकवाद समाज पर एक स्थायी निशान छोड़ता है। आतंकवाद से लोगों में भय फैलता है, जिससे लोग चिंतित रहते हैं। हमेशा डर के माहौल में जीने से जीवन जीने की गुणवत्ता में कमी आ सकती है।

राजनयिक तनाव : आतंकवाद के कारण अंतरराष्ट्रीय संबंध तनावपूर्ण हो सकते हैं। इससे दो देशों के बीच में दूरियां बढ़ सकती हैं। कई देश अपनी धरती पर हो रहे हमलों से जूझ रहे हैं। यह हमले संभावित रूप से सशस्त्र संघर्ष का कारण बन सकते हैं। 

 

वैश्विक सहयोग की आवश्यकता

आतंकवाद के खतरे को देखते हुए इससे प्रभावी ढंग से निपटने के लिए एक संयुक्त मोर्चे की जरूरत है। जहां सभी देशों को इसके उन्मूलन में सहयोग देना चाहिए। आतंकवाद को जड़ से समाप्त करने के लिए सभी देशों के बीच पारस्परिक समन्वय बेहद जरूरी है। 

खुफिया जानकारी साझा करना : आतंकवाद के उन्मूलन के लिए सभी देशों को चाहिए कि वो खुफिया जानकारी परस्पर साझा करें। साथ ही खुफिया एजेंसियों के बीच सहयोग से साजिशों को अंजाम देने से पता लगाया जाना चाहिए।

अंतर्राष्ट्रीय कानूनी ढांचा : सीमाओं के पार आतंकवादियों के प्रत्यर्पण और अभियोजन को और भी सुविधाजनक बनाने की जरूरत है। इसके लिए अंतर्राष्ट्रीय कानूनों और समझौतों को मजबूत करना आवश्यक है। 

 

वैचारिक अतिवाद, सामाजिक-आर्थिक असमानता से प्रेरित आतंकवाद दुनिया के लिए एक गंभीर और जटिल खतरा बना हुआ है। इसके कारण बहुत सारे लोग हर साल अपनी जान गंवाते हैं। इसलिए आवश्यकता है कि अब देश आतंकवाद के खिलाफ एकजुट हों और इस खतरे के खिलाफ मिलकर मुकाबला करें।