22 November 2023

अयोध्या में इस नक्षत्र में विराजेंगे रामलला, माना जाता है दुर्लभ संयोग

उत्तर प्रदेश के अयोध्या में जल्द ही रामलला का भव्य मंदिर तैयार हो जाएगा। इस नवनिर्मित मंदिर की प्राण प्रतिष्‍ठा 22 जनवरी 2024 को होने जा रही है। जिसमें देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्य यजमान होंगे। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की तरफ से प्राण प्रतिष्‍ठा समारोह की रूपरेखा जारी कर दी गई है। ट्रस्ट की तरफ से कहा गया है कि रामलला की नए मंदिर में प्राण प्रतिष्‍ठा 22 जनवरी 2024 को अभिजीत मुहूर्त मृगषिरा नक्षत्र में दोपहर 12:20 बजे होगी। यह नक्षत्र सुख-समृद्धि देने वाला माना जाता है। पंडितों द्वारा कहा जा रहा है कि इस दिन दुर्लभ संयोग बन रहा है, इसलिए प्राण प्रतिष्ठा के लिए इस दिन का चुनाव किया गया है। 

 

सुख-समृद्धि देने वाला माना जाता है मृगषिरा नक्षत्र

अगर सनातन परंपराओं की गणनाओं की बात करें तो ज्‍योतिष शास्त्र में मृगषिरा नक्षत्र को विशेष फलदायी बताया गया है। मृगषिरा नक्षत्र को कृषि कार्य, व्‍यापार और विदेश यात्रा के लिए सर्वश्रेष्‍ठ माना गया है। पंडितों का मानना है कि इस शुभ मुहूर्त में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा करने से देश के लोगों का कल्याण होगा और देश की प्रगति होगी। इस नक्षत्र की लग्न उत्तम है  और समस्त दोषों से रहित है। मृगषिरा नक्षत्र में किसी भी प्रकार के अवरोध नहीं हैं।

 

बन रहा है दुर्लभ संयोग 

22 जनवरी 2024 को द्वादशी है। जिसे पौष मास के शुक्‍ल पक्ष की कूर्म द्वादशी कहा जाता है। यह द्वादशी इस संसार के स्वामी भगवान विष्णु को समर्पित मानी गई है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने कछुआ का अवतार लेकर समुद्र मंथन में भाग लिया था। समुद्र मंथन के दौरान भगवान विष्णु ने कछुआ का अवतार लेकर मंदार पर्वत को अपने ऊपर धारण किया था। जिसे शास्त्रों में स्‍थायित्‍व का प्रतीक माना गया है। इसलिए इस शुभ संयोग पर रामलला के मंदिर की स्थापना मंदिर को सदियों तक स्‍थायित्‍व प्रदान करेगी।

 

80 फीसदी काम हो चुका है पूरा 

राम मंदिर के निर्माण का 80 फीसदी काम पूरा हो चुका है। बाकी बचे हुए काम को भी जल्द ही पूरा करने के प्रयास किए जा रहे हैं। राम मंदिर के चार मंडप पूरे हो चुके हैं और गर्भ गृह का निर्माण चल रहा है। ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने बताया है कि 22 जनवरी के पहले मंदिर का सारा काम पूर्ण कर लिया जाएगा। 

 

मंदिर का आकार

मंदिर का आकार अष्टकोणीय होगा। जबकि परिधि की संरचना गोलाकार रखी गई है। यह मंदिर 161 फीट ऊंचा होगा। जिसमें 5 गुंबद हैं और एक टावर होगा। यह तीन मंजिल का मंदिर होगा। जिसके गर्भगृह को ऐसे डिजाइन किया गया है कि जब भी सूर्योदय होगा तब सूर्य की पहली किरण रामलला पर पड़ेगी। मंदिर में खिड़कियों और दरवाजे लगाने का भी प्रबंध किया जा रहा है। ये खिड़की और दरवाजे सागौन की लकड़ी से बनाए जाएंगे। मंदिर की हर चीज का निर्माण कुशल कारीगरों के हाथों से किया जा रहा है।